वॉशिंगटन/इस्लामाबाद: पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर के बाद, देश के वायुसेना प्रमुख जहीर अहमद बाबर सिद्धू ने अमेरिका का आधिकारिक दौरा किया है, जो दोनों देशों के बीच फिर से सुधरते संबंधों का संकेत है। अधिकारियों ने बताया है कि सिद्धू की यात्रा का मकसदस मुनीर की अमेरिका यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाना था। पिछले 10 सालों के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि पाकिस्तान वायु सेना के किसी प्रमुख ने अमेरिका की यात्रा की हो। पाकिस्तान वायुसेना ने बुधवार को एक बयान में कहा है कि "यह उच्च स्तरीय यात्रा पाकिस्तान-अमेरिका रक्षा साझेदारी में एक रणनीतिक मील का पत्थर है। यह यात्रा प्रमुख क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा मुद्दों को संबोधित करने के साथ-साथ संस्थागत संबंधों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।"
बयान में पाकिस्तान एयरफोर्स के चीफ सिद्धू के यात्रा कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी गई है, जिसमें अमेरिका के शीर्ष सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व के साथ कई महत्वपूर्ण बैठकों का जिक्र किया गया है। पेंटागन की अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने अमेरिकी वायु सेना के अंतर्राष्ट्रीय मामलों के सचिव केली एल. सेबोल्ट और वायु सेना के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल डेविड डब्ल्यू एल्विन से मुलाकात की। पीएएफ के बयान के मुताबिक दोनों पक्ष द्विपक्षीय सैन्य सहयोग, आपसी मामलों, संयुक्त प्रशिक्षण और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए रास्ते बनाने पर सहमत हुए।
क्या चीन के ऊपर से पाकिस्तान का उठा भरोसा?
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान के चीनी एयर डिफेंस सिस्टम, रडार सिस्टम और कई लड़ाकू विमानों को तबाह कर दिया था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सलाहकार राणा सनाउल्लाह ने कहा है कि जब भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल दागी तो पाकिस्तान के पास सोचने के लिए सिर्फ 30 से 35 सेकंड का वक्त था। ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान कथित तौर पर अमेरिका से F-16 ब्लॉक 70 लड़ाकू जेट, एयर डिफेंस सिस्टम और HIMARS तोपखाने जैसे एडवांस अमेरिकी प्लेटफॉर्म हासिल करने में दिलचस्पी रखता है। अगर ये सच है तो इसका मतलब है कि पाकिस्तान का चीन के ऊपर से भरोसा उठ गया है। 30 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता झांग शियाओगांग ने भारत-पाकिस्तान सैन्य टकराव में पाकिस्तान के हथियार कितने असरदार रहे, इसपर कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया।
इसके अलावा भारत ने चीनी PL-15 मिसाइल को इंटरसेप्ट कर लिया है और एक मिसाइल जो भारत ने बरामद किया है, वो खराब नहीं हुआ है। चीन को डर है कि अब भारत इस मिसाइस की सारी टेक्नोलॉजी जान जाएगा। जब पाकिस्तान के चीनी हथियारों के परफॉर्मेंस पर और जोर दिया गया, तो चीनी रक्षा अधिकारी ने बस इतना ही कहा: "पाकिस्तान को चीन की एयर डिफेंस और सैटेलाइल सिस्टम से सहायता मिली, लेकिन इन प्रणालियों का प्रदर्शन औसत से कम था।" उन्होंने कहा, "हम इस बात पर जोर देना चाहेंगे कि भारत और पाकिस्तान ऐसे पड़ोसी हैं जिन्हें हिलाया नहीं जा सकता। हमें उम्मीद है कि दोनों पक्ष स्थिति को और जटिल होने से बचाने के लिए शांत और संयमित रहेंगे।"
भारत के लिए कितनी चिंता की बात?
डिफेंस एक्सपर्ट्स अभी भी इस बात पर एकराय रखते हैं कि पाकिस्तान को अमेरिका अपने हथियार नहीं देगा। फिर भी पाकिस्तान का अमेरिका की तरफ झुकाव भारत के लिए कूटनीतिक और रणनीतिक चिंता का विषय है। पिछले दो दशकों में अमेरिका और भारत के रिश्तों में जबरदस्त नजदीकी आई थी, खासकर 9/11 के बाद जब अमेरिका ने पाकिस्तान से दूरी बना ली थी। लेकिन अब एक बार फिर दोनों संबंध बनाते दिख रहे हैं। इसके अलावा सोचने वाली बात ये भी है कि पाकिस्तान ने अचानक कहा है कि वो चीन से J-35A पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान नहीं खरीद रहा है, जबकि तमाम रिपोर्ट्स में पाकिस्तान एयरफोर्स के अधिकारियों ने पुष्टि की थी कि चीन से जल्द ही J-35A मिलने वाले हैं। इतना ही नहीं, रिपोर्ट्स तो यहां तक आई थी कि पाकिस्तानी पायलट्स ने J-35A के साथ ट्रेनिंग भी शुरू कर दी है। लेकिन अब पाकिस्तानी अधिकारियों के उच्च स्तरीय दौरे, अमेरिका से हथियारों की संभावित खरीद और डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित करना, ये सभी कदम पाकिस्तान की अमेरिका के साथ नए समीकरण को दर्शाते हैं।
बयान में पाकिस्तान एयरफोर्स के चीफ सिद्धू के यात्रा कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी गई है, जिसमें अमेरिका के शीर्ष सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व के साथ कई महत्वपूर्ण बैठकों का जिक्र किया गया है। पेंटागन की अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने अमेरिकी वायु सेना के अंतर्राष्ट्रीय मामलों के सचिव केली एल. सेबोल्ट और वायु सेना के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल डेविड डब्ल्यू एल्विन से मुलाकात की। पीएएफ के बयान के मुताबिक दोनों पक्ष द्विपक्षीय सैन्य सहयोग, आपसी मामलों, संयुक्त प्रशिक्षण और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए रास्ते बनाने पर सहमत हुए।
क्या चीन के ऊपर से पाकिस्तान का उठा भरोसा?
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान के चीनी एयर डिफेंस सिस्टम, रडार सिस्टम और कई लड़ाकू विमानों को तबाह कर दिया था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सलाहकार राणा सनाउल्लाह ने कहा है कि जब भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल दागी तो पाकिस्तान के पास सोचने के लिए सिर्फ 30 से 35 सेकंड का वक्त था। ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान कथित तौर पर अमेरिका से F-16 ब्लॉक 70 लड़ाकू जेट, एयर डिफेंस सिस्टम और HIMARS तोपखाने जैसे एडवांस अमेरिकी प्लेटफॉर्म हासिल करने में दिलचस्पी रखता है। अगर ये सच है तो इसका मतलब है कि पाकिस्तान का चीन के ऊपर से भरोसा उठ गया है। 30 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता झांग शियाओगांग ने भारत-पाकिस्तान सैन्य टकराव में पाकिस्तान के हथियार कितने असरदार रहे, इसपर कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया।
इसके अलावा भारत ने चीनी PL-15 मिसाइल को इंटरसेप्ट कर लिया है और एक मिसाइल जो भारत ने बरामद किया है, वो खराब नहीं हुआ है। चीन को डर है कि अब भारत इस मिसाइस की सारी टेक्नोलॉजी जान जाएगा। जब पाकिस्तान के चीनी हथियारों के परफॉर्मेंस पर और जोर दिया गया, तो चीनी रक्षा अधिकारी ने बस इतना ही कहा: "पाकिस्तान को चीन की एयर डिफेंस और सैटेलाइल सिस्टम से सहायता मिली, लेकिन इन प्रणालियों का प्रदर्शन औसत से कम था।" उन्होंने कहा, "हम इस बात पर जोर देना चाहेंगे कि भारत और पाकिस्तान ऐसे पड़ोसी हैं जिन्हें हिलाया नहीं जा सकता। हमें उम्मीद है कि दोनों पक्ष स्थिति को और जटिल होने से बचाने के लिए शांत और संयमित रहेंगे।"
भारत के लिए कितनी चिंता की बात?
डिफेंस एक्सपर्ट्स अभी भी इस बात पर एकराय रखते हैं कि पाकिस्तान को अमेरिका अपने हथियार नहीं देगा। फिर भी पाकिस्तान का अमेरिका की तरफ झुकाव भारत के लिए कूटनीतिक और रणनीतिक चिंता का विषय है। पिछले दो दशकों में अमेरिका और भारत के रिश्तों में जबरदस्त नजदीकी आई थी, खासकर 9/11 के बाद जब अमेरिका ने पाकिस्तान से दूरी बना ली थी। लेकिन अब एक बार फिर दोनों संबंध बनाते दिख रहे हैं। इसके अलावा सोचने वाली बात ये भी है कि पाकिस्तान ने अचानक कहा है कि वो चीन से J-35A पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान नहीं खरीद रहा है, जबकि तमाम रिपोर्ट्स में पाकिस्तान एयरफोर्स के अधिकारियों ने पुष्टि की थी कि चीन से जल्द ही J-35A मिलने वाले हैं। इतना ही नहीं, रिपोर्ट्स तो यहां तक आई थी कि पाकिस्तानी पायलट्स ने J-35A के साथ ट्रेनिंग भी शुरू कर दी है। लेकिन अब पाकिस्तानी अधिकारियों के उच्च स्तरीय दौरे, अमेरिका से हथियारों की संभावित खरीद और डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित करना, ये सभी कदम पाकिस्तान की अमेरिका के साथ नए समीकरण को दर्शाते हैं।
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