नई दिल्ली: यूएस मिड टर्म इलेक्शन (मध्यावधि चुनाव) में ठीक एक साल का वक्त है। अगले साल नवंबर में मध्यावधि चुनाव होंगे। इससे पहले मेयर स्तर के इलेक्शन को यूएस राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की पहली बड़ी परीक्षा माना जा रहा था। नतीजों ने साफ कर दिया कि ट्रंप इस परीक्षा में पास नहीं हो पाए। डेमोक्रेट्स ने चार बड़े चुनावों में जीत हासिल की और ट्रंप प्रशासन और ट्रंप की पॉलिसी पर फिर सवाल उठने लगे।
डेमोक्रेट्स की बड़ी जीतडेमोक्रेट्स ने न्यू यॉर्क सिटी का मेयर चुनाव, न्यू जर्सी और वर्जीनिया का गवर्नर चुनाव और कैलिफोर्निया में प्रपोजिशन-50 जनमत संग्रह में जीत हासिल की। जहां ममदानी न्यू यॉर्क सिटी के पहले मुस्लिम मेयर और पहले दक्षिण एशियाई मूल के मेयर बने, वहीं स्पैनबर्गर वर्जीनिया की पहली महिला गवर्नर बनी। शेरिल न्यू जर्सी की पहली महिला ड्रेमोक्रेटिक गर्वनर बनीं। कैलिफोर्निया के वोटर्स ने प्रोपोजिशन-50 के पक्ष में वोट दिया, जिससे राज्य के विधायक (state legislators) अब मध्यावधि चुनावों से पहले निर्वाचन क्षेत्रों (सीटों की सीमाएं) को फिर से तय कर सकेंगे। डेमोक्रेट्स की यह जीत अगले साल होने वाले मध्यावधि चुनावों से पहले उनका जोश बढ़ाने वाली है और रिपब्लिकन्स की चिंता बढ़ाने वाली है।
ट्रंप के लिए संदेश यूएस मामलों के जानकार संजीव श्रीवास्तव कहते हैं कि ममदानी और डेमोक्रेट्स की जीत ट्रंप की नीतियों और ट्रंप प्रशासन के लिए झटका है। ये नतीजे ट्रंप को ये सोचने को मजबूर करेंगे कि अमेरिका के लोग उनकी नीतियों को पसंद कर रहे हैं या नहीं। श्रीवास्तव ने कहा कि ट्रंप के व्यक्तित्व में जिद्दीपन हमेशा दिखाई देता है और वे जब भी चुनाव हारते हैं तो इसे स्वीकार नहीं करते और अपनी पोजिशन पर अड़े रहते हैं। इससे यह भी संभावना है कि चुनाव के नतीजों के बाद भी ट्रंप अपनी नीतियों पर पुनर्विचार ना करें। लेकिन वे एक बिजनेसमैन भी हैं और फायदा नुकसान समझते हैं। यह संभावना भी बनी हुई है कि वे बिना ज्यादा हल्ला किए धीरे से ही अपनी नीतियों पर बदलाव लाना शुरू कर सकते हैं।
हो सकता है भारी नुकसानसंजीव श्रीवास्तव ने कहा कि ट्रंप ने अमेरिका की जनता से वादा किया था कि महंगाई कम करेंगे और कॉस्ट ऑफ लिविंग (जीवन यापन की लागत) कम करेंगे। लेकिन ट्रंप ने जिस तरह टैरिफ नीति अपनाई उससे नकारात्मक असर पड़ रहा है। ट्रंप अगर अपनी नीतियों पर फिर से विचार करके जनता की मंशा नहीं समझते तो इसका असर मध्यावधि चुनाव में रिपब्लिकंस पर पड़ेगा और उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
इमिग्रेंट्स पॉलिसी पर असरट्रंप ने इमिग्रेंट्स को लेकर बहुत सख्त नीति अपनाई है। न्यू यॉर्क में मदनानी ने अपनी जीत को इमिग्रेंट्स की जीत बताया है। न्यू जर्सी में भी वोटर्स ने इमिग्रेशन पॉलिसी को लेकर सवाल उठाए थे। ट्रंप की इमिग्रेशन पॉलिसी पर अब चर्चा भी और विरोध भी तेज हो सकता है। यूएस को नेशन ऑफ इमिग्रेंट्स कहा जाता है। अगर इमिग्रेशन पॉलिसी पर कुछ बदलाव होता है तो इसका असर भारत पर भी पड़ेगा।
क्या है मध्यावधि चुनावअमेरिकी राष्ट्रपति के चार साल के कार्यकाल के मध्य यानी लगगभ दो साल बाद होने वाले चुनाव मध्यावधि चुनाव होते हैं। ये मुख्य रूप से कांग्रेस के सदस्यों के चुनाव पर केंद्रित रहते हैं। इन चुनावों में राष्ट्रपति का पद दांव पर नहीं होता लेकिन ये राष्ट्रपति की नीतियों और लोकप्रियता का एक तरह से रेफरेंडम माना जाता है। डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के बीच में अगले साल 3 नवंबर को मध्यावधि चुनाव होंगे। मध्यावधि चुनाव में फेडरल स्तर पर हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स की सभी सीटों पर चुनाव होता है। साथ ही सीनेट की करीब एक तिहाई सीटों पर चुनाव होता है।
डेमोक्रेट्स की बड़ी जीतडेमोक्रेट्स ने न्यू यॉर्क सिटी का मेयर चुनाव, न्यू जर्सी और वर्जीनिया का गवर्नर चुनाव और कैलिफोर्निया में प्रपोजिशन-50 जनमत संग्रह में जीत हासिल की। जहां ममदानी न्यू यॉर्क सिटी के पहले मुस्लिम मेयर और पहले दक्षिण एशियाई मूल के मेयर बने, वहीं स्पैनबर्गर वर्जीनिया की पहली महिला गवर्नर बनी। शेरिल न्यू जर्सी की पहली महिला ड्रेमोक्रेटिक गर्वनर बनीं। कैलिफोर्निया के वोटर्स ने प्रोपोजिशन-50 के पक्ष में वोट दिया, जिससे राज्य के विधायक (state legislators) अब मध्यावधि चुनावों से पहले निर्वाचन क्षेत्रों (सीटों की सीमाएं) को फिर से तय कर सकेंगे। डेमोक्रेट्स की यह जीत अगले साल होने वाले मध्यावधि चुनावों से पहले उनका जोश बढ़ाने वाली है और रिपब्लिकन्स की चिंता बढ़ाने वाली है।
ट्रंप के लिए संदेश यूएस मामलों के जानकार संजीव श्रीवास्तव कहते हैं कि ममदानी और डेमोक्रेट्स की जीत ट्रंप की नीतियों और ट्रंप प्रशासन के लिए झटका है। ये नतीजे ट्रंप को ये सोचने को मजबूर करेंगे कि अमेरिका के लोग उनकी नीतियों को पसंद कर रहे हैं या नहीं। श्रीवास्तव ने कहा कि ट्रंप के व्यक्तित्व में जिद्दीपन हमेशा दिखाई देता है और वे जब भी चुनाव हारते हैं तो इसे स्वीकार नहीं करते और अपनी पोजिशन पर अड़े रहते हैं। इससे यह भी संभावना है कि चुनाव के नतीजों के बाद भी ट्रंप अपनी नीतियों पर पुनर्विचार ना करें। लेकिन वे एक बिजनेसमैन भी हैं और फायदा नुकसान समझते हैं। यह संभावना भी बनी हुई है कि वे बिना ज्यादा हल्ला किए धीरे से ही अपनी नीतियों पर बदलाव लाना शुरू कर सकते हैं।
हो सकता है भारी नुकसानसंजीव श्रीवास्तव ने कहा कि ट्रंप ने अमेरिका की जनता से वादा किया था कि महंगाई कम करेंगे और कॉस्ट ऑफ लिविंग (जीवन यापन की लागत) कम करेंगे। लेकिन ट्रंप ने जिस तरह टैरिफ नीति अपनाई उससे नकारात्मक असर पड़ रहा है। ट्रंप अगर अपनी नीतियों पर फिर से विचार करके जनता की मंशा नहीं समझते तो इसका असर मध्यावधि चुनाव में रिपब्लिकंस पर पड़ेगा और उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
इमिग्रेंट्स पॉलिसी पर असरट्रंप ने इमिग्रेंट्स को लेकर बहुत सख्त नीति अपनाई है। न्यू यॉर्क में मदनानी ने अपनी जीत को इमिग्रेंट्स की जीत बताया है। न्यू जर्सी में भी वोटर्स ने इमिग्रेशन पॉलिसी को लेकर सवाल उठाए थे। ट्रंप की इमिग्रेशन पॉलिसी पर अब चर्चा भी और विरोध भी तेज हो सकता है। यूएस को नेशन ऑफ इमिग्रेंट्स कहा जाता है। अगर इमिग्रेशन पॉलिसी पर कुछ बदलाव होता है तो इसका असर भारत पर भी पड़ेगा।
क्या है मध्यावधि चुनावअमेरिकी राष्ट्रपति के चार साल के कार्यकाल के मध्य यानी लगगभ दो साल बाद होने वाले चुनाव मध्यावधि चुनाव होते हैं। ये मुख्य रूप से कांग्रेस के सदस्यों के चुनाव पर केंद्रित रहते हैं। इन चुनावों में राष्ट्रपति का पद दांव पर नहीं होता लेकिन ये राष्ट्रपति की नीतियों और लोकप्रियता का एक तरह से रेफरेंडम माना जाता है। डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के बीच में अगले साल 3 नवंबर को मध्यावधि चुनाव होंगे। मध्यावधि चुनाव में फेडरल स्तर पर हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स की सभी सीटों पर चुनाव होता है। साथ ही सीनेट की करीब एक तिहाई सीटों पर चुनाव होता है।
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