मुंबई: मुंबई का ऐतिहासिक 112 साल पुराना एलफिंस्टन ब्रिज को रविवार रात से गिराना शुरू किया जाएगा। एमआरआईडीसी के अधिकारी ने बताया कि ब्रिज का रेलवे वाला हिस्सा तोड़ने का काम जनवरी 2026 तक पूरा किया जाएगा। फिलहाल एप्रोच रोड को तोड़ने का काम अपने आखिहृ चरण में है, जिसके बाद 132 मीटर लंबा हिस्सा, जो की रेलवे लाइन के ऊपर से गुजरता है, तोड़ा जाएगा। इस रविवार, हम पटरियों के ऊपर वाले हिस्से को गिराने के लिए कर्मचारियों और मशीनों को तैनात करेंगे। इस काम को आगे बढ़ाने के लोए एमआरआईडीसी को मध्य रेलवे और पश्चिम रेलवे (वर्बल मंजूरी) दोनों से मंज़ूरी मिल गई है।
रेलवे लेगी 78 ब्लॉक
एलफिंस्टन ब्रिज को तोड़े जाने से एक्सप्रेस ट्रेनों और लोकल ट्रेनों की परिचालन में ज्यादा परेशानी न उत्पन्न हो, इसलिए 78 रेल ब्लॉकों की आवश्यकता होगी, जिनमें से प्रत्येक चार घंटे का होगा। ब्लॉक अवधि और संभावित उपनगरीय सेवा परिवर्तनों की सटीक टाइम टेबल की घोषणा मध्य रेलवे और पश्चिम रेलवे द्वारा आने वाले हफ्तों में की जाएगी। एक अधिकारी ने बताया कि एप्रोच रोड से मलबा हटाने के बाद भारी लोहे के गर्डरों को उठाने और हटाने के लिए 800 मीट्रिक टन की दो विशाल क्रेनें तैनात किया जाएगा। हालांकि अभी तक पश्चिम रेलवे द्वारा लिखित लेटर एमआरआईडीसी को प्राप्त नहीं हुआ है। परिणामस्वरूप, काम पूर्वी हिस्से से शुरू होगा, जो मध्य रेलवे के अधिकार क्षेत्र में आता है।
नया ब्रिज से अच्छी कनेक्टिविटी
इस ब्रिज को तोड़ना, आने वाले समय में बनने वाले 'डबल डेकर ब्रिज 'की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इस कॉरिडोर का उद्देश्य निचले डेक से सेनापति बापट रोड और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर रोड को और ऊपरी डेक से बांद्रा-वर्ली सी लिंक को मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (अटल सेतु) से जोड़कर पूर्व-पश्चिम कनेक्टिविटी को सुगम बनाना है। अकेले रेलवे हिस्से की लागत 167.35 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जबकि पूरी शिवडी -वर्ली एलिवेटेड कॉरिडोर परियोजना की लागत 1,286 करोड़ रुपये है और इसे दिसंबर 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
रेलवे लेगी 78 ब्लॉक
एलफिंस्टन ब्रिज को तोड़े जाने से एक्सप्रेस ट्रेनों और लोकल ट्रेनों की परिचालन में ज्यादा परेशानी न उत्पन्न हो, इसलिए 78 रेल ब्लॉकों की आवश्यकता होगी, जिनमें से प्रत्येक चार घंटे का होगा। ब्लॉक अवधि और संभावित उपनगरीय सेवा परिवर्तनों की सटीक टाइम टेबल की घोषणा मध्य रेलवे और पश्चिम रेलवे द्वारा आने वाले हफ्तों में की जाएगी। एक अधिकारी ने बताया कि एप्रोच रोड से मलबा हटाने के बाद भारी लोहे के गर्डरों को उठाने और हटाने के लिए 800 मीट्रिक टन की दो विशाल क्रेनें तैनात किया जाएगा। हालांकि अभी तक पश्चिम रेलवे द्वारा लिखित लेटर एमआरआईडीसी को प्राप्त नहीं हुआ है। परिणामस्वरूप, काम पूर्वी हिस्से से शुरू होगा, जो मध्य रेलवे के अधिकार क्षेत्र में आता है।
नया ब्रिज से अच्छी कनेक्टिविटी
इस ब्रिज को तोड़ना, आने वाले समय में बनने वाले 'डबल डेकर ब्रिज 'की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इस कॉरिडोर का उद्देश्य निचले डेक से सेनापति बापट रोड और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर रोड को और ऊपरी डेक से बांद्रा-वर्ली सी लिंक को मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (अटल सेतु) से जोड़कर पूर्व-पश्चिम कनेक्टिविटी को सुगम बनाना है। अकेले रेलवे हिस्से की लागत 167.35 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जबकि पूरी शिवडी -वर्ली एलिवेटेड कॉरिडोर परियोजना की लागत 1,286 करोड़ रुपये है और इसे दिसंबर 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
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