नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत दुनिया के कई देशों पर जमकर टैरिफ लगाया है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का कहना है कि अमेरिका द्वारा लगाए गए हाई टैरिफ का ग्लोबल इकॉनमी पर अब तक उम्मीद से कम असर पड़ा है। लेकिन यह कहना जल्दबाजी होगी कि इसका आर्थिक विकास पर कोई असर नहीं हुआ है। आईएमएफ ने मंगलवार को अपनी ताजा वर्ल्ड इकनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में ग्लोबल ग्रोथ रेट के अनुमानों को थोड़ा बढ़ाया है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिकी टैरिफ में उम्मीद से कम बढ़ोतरी हुई है। आईएमएफ का कहना है कि हाल के व्यापारिक घोषणाओं और अमेरिका तथा उसके कुछ ट्रेडिंग पार्टनर्स के बीच हुए समझौतों के कारण ज्यादातर देशों के लिए औसत अमेरिकी टैरिफ दर अप्रैल के उच्च स्तर से घटकर 10% से 20% के बीच आ गई है। आईएमएफ का अनुमान है कि 2025 में ग्लोबल इकॉनमी 3.2% की दर से बढ़ेगी। यह जुलाई के अनुमान 3% से अधिक है लेकिन महामारी से पहले की औसत 3.7% की दर से काफी कम है।
अमेरिका की इकॉनमी
वहीं अमेरिकी अर्थव्यवस्था के इस साल 2% और 2026 में 2.1% की दर से बढ़ने की उम्मीद है जो जुलाई के अनुमानों से मामूली रूप से अधिक है। आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गौरिनचास ने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा कि अमेरिका ने विभिन्न देशों के साथ ट्रेड एग्रीमेंट किए और कई तरह की छूट दी हैं। उन्होंने कहा कि ज्यादातर देशों ने अमेरिका के सामानों पर टैरिफ बढ़ाकर जवाबी कार्रवाई नहीं की। कंपनियों ने भी टैरिफ बढ़ने से पहले आयात बढ़ाकर और अपनी सप्लाई चेन को 'री-रूट' करके जल्दी से खुद को ढाला है।
लेकिन गौरिनचास ने यह चेतावनी दी है कि व्यापारिक तनाव अभी भी बढ़ रहा है। इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि व्यापारिक समझौते हमेशा बने रहेंगे। साथ ही, अमेरिकी आयातक अभी भी ऊंचे टैरिफ की लागत उपभोक्ताओं पर डाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले अनुभवों से पता चलता है कि पूरी तस्वीर सामने आने में लंबा समय लग सकता है। हाल के दिनों में अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ गया है। ट्रंप ने चीन के रेयर अर्थ एलिमेंट्स के निर्यात नियंत्रण पर विवाद के चलते चीन पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिकी टैरिफ में उम्मीद से कम बढ़ोतरी हुई है। आईएमएफ का कहना है कि हाल के व्यापारिक घोषणाओं और अमेरिका तथा उसके कुछ ट्रेडिंग पार्टनर्स के बीच हुए समझौतों के कारण ज्यादातर देशों के लिए औसत अमेरिकी टैरिफ दर अप्रैल के उच्च स्तर से घटकर 10% से 20% के बीच आ गई है। आईएमएफ का अनुमान है कि 2025 में ग्लोबल इकॉनमी 3.2% की दर से बढ़ेगी। यह जुलाई के अनुमान 3% से अधिक है लेकिन महामारी से पहले की औसत 3.7% की दर से काफी कम है।
अमेरिका की इकॉनमी
वहीं अमेरिकी अर्थव्यवस्था के इस साल 2% और 2026 में 2.1% की दर से बढ़ने की उम्मीद है जो जुलाई के अनुमानों से मामूली रूप से अधिक है। आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गौरिनचास ने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा कि अमेरिका ने विभिन्न देशों के साथ ट्रेड एग्रीमेंट किए और कई तरह की छूट दी हैं। उन्होंने कहा कि ज्यादातर देशों ने अमेरिका के सामानों पर टैरिफ बढ़ाकर जवाबी कार्रवाई नहीं की। कंपनियों ने भी टैरिफ बढ़ने से पहले आयात बढ़ाकर और अपनी सप्लाई चेन को 'री-रूट' करके जल्दी से खुद को ढाला है।
लेकिन गौरिनचास ने यह चेतावनी दी है कि व्यापारिक तनाव अभी भी बढ़ रहा है। इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि व्यापारिक समझौते हमेशा बने रहेंगे। साथ ही, अमेरिकी आयातक अभी भी ऊंचे टैरिफ की लागत उपभोक्ताओं पर डाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले अनुभवों से पता चलता है कि पूरी तस्वीर सामने आने में लंबा समय लग सकता है। हाल के दिनों में अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ गया है। ट्रंप ने चीन के रेयर अर्थ एलिमेंट्स के निर्यात नियंत्रण पर विवाद के चलते चीन पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी है।
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