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ईरान-इजरायल युद्ध से फंसा चीन, रूस की होगी बल्ले-बल्ले, पुतिन पर निर्भर होंगे शी जिनपिंग

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बीजिंग: शनिवार को जब अमेरिका ने ईरान के परमाणु संयंत्रों पर बमबारी की, तब चीन ने खुलकर इसका विरोध किया। उसने ईरान के प्रति अपने समर्थन का इजहार किया और अमेरिका की आलोचना की। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि मध्य पूर्व में मध्यस्थ के रूप में इसकी सीमित भूमिका और ईरान के होर्मुज जलसंधि को ब्लॉक करने की धमकियों से होने वाले नुकसान के कारण उसके समर्थन में कमी आने की संभावना है। हालांकि, इस संघर्ष से चीन की अपेक्षा रूस को ज्यादा फायदा होने की उम्मीद है। यही कारण है कि रूस ने ईरान पर हमले के बाद सिर्फ चंद बयान जारी कर खुद को किनारे कर लिया है, जबकि ईरान उसका बड़ा सहयोगी देश है।



चीन को सता रही तेल और गैस की चिंता

ऑयल प्राइस डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान-इजरायल युद्ध के कारण चीन को तेल और गैस की आपूर्ति की चिंता सता रही है। चीन अमेरिकी प्रतिबंधों की धमकियों के बावजूद ईरान से भारी मात्रा में तेल और गैस की खरीदता है। लेकिन, अब होर्मुज जलसंधि के ब्लॉक होने और ईरान के अस्थिर होने से इस आपूर्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है। इस कारण चीन एक बार फिर रूस के पावर ऑफ़ साइबेरिया 2 पाइपलाइन में अधिक रुचि दिखाने लगा है। यह रूस की एक प्रस्तावित परियोजना है, जिस पर चीन ने पहले कोई जल्दीबाजी नहीं दिखाई थी।



रूस की परियोजना में दिलचस्पी दिखा रहा चीन

वॉल स्ट्रीट जर्नल ने बीजिंग के करीबी अज्ञात स्रोतों का हवाला देते हुए कहा है कि चीन अब रूस की इस परियोजना में दिलचस्पी लेने लगा है। चीन ने पहले पावर ऑफ़ साइबेरिया 2 के स्वामित्व और मूल्य निर्धारण को लेकर रूस के प्रस्तावों से सहमत नहीं था। इसके अलावा वह तेल और गैस के एक ही स्रोत पर अत्यधिक निर्भर नहीं होना चाहता था। इस कारण से वह रूस के इतर ईरान जैसे देश से तेल और गैस की खरीद को बढ़ाने पर विचार कर रहा था।



चीन कहां से खरीदता है तेल और गैस

WSJ ने अपनी रिपोर्ट में रिस्टैड एनर्जी के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि चीन के गैस आयात का लगभग एक तिहाई कतर और संयुक्त अरब अमीरात से LNG के रूप में आता है। रूस, ऑस्ट्रेलिया और कतर के बाद चीन का तीसरा सबसे बड़ा एलएनजी आपूर्तिकर्ता है। लेकिन, एसएंडपी ग्लोबल के अनुसार रूस भी चीन का सबसे बड़ा पाइपलाइन आपूर्तिकर्ता है, जो साइबेरिया 1 के माध्यम से है, जिसका प्रवाह इस वर्ष 38 बिलियन घन मीटर तक पहुंचने वाला है।



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