इस्लामाबाद: भारत की ओर से नदियों का पानी रोकने को लेकर एक बार फिर पाकिस्तान की चिंता सामने आई है। इकोलॉजिकल थ्रेट रिपोर्ट कहती है कि भारत की ओर से नदियों के प्रवाह को अचानक रोकने या इनका रुख पूरी तरह से मोड़ने से पाकिस्तान के लिए बड़ा संकट पैदा हो जाएगा। पाकिस्तान के सामने इस मुद्दे पर निकट भविष्य में बड़ा खतरा मंडरा रहा है क्योंकि नई दिल्ली अपने बांध संचालन के समय का उपयोग अपनी तकनीकी क्षमता के दायरे में नदी के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए कर सकता है।   
   
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, सिंधु जल समझौते पर भारत का रुख पाकिस्तान के लिए बड़ी चिंता का सबब है। भारत छोटे कदम भी उठाता है तो पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर सिंचाई प्रभावित होगी क्योंकि इस्लामाबाद में विविधताओं को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त भंडारण क्षमता का अभाव है। ऐसे में भारत का बड़ा और निर्णायक कदम पाकिस्तान को भारी नुकसान कर सकता है।
     
पाकिस्तान के पास संसाधन नहींसिडनी स्थित थिंक टैंक, इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस (आईईपी) की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि पाकिस्तान की बांध क्षमता सिंधु नदी के प्रवाह को सिर्फ 30 दिन रोक सकती है। ऐसे में लंबे समय तक कोई भी कटौती विनाशकारी होगी। वर्तमान में नदियों के प्रवाह को बंद करने की भारत की क्षमता उसके बुनियादी ढांचे के कारण सीमित है। यही पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी राहत की बात है। पश्चिमी नदियों पर भारत के सभी बांध रन-ऑफ-द-रिवर परियोजनाएं हैं, जिनमें न्यूनतम भंडारण क्षमता है।
     
आईईपी की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के लिए यह एक खतरा गंभीर है। अगर भारत सचमुच सिंधु नदी के प्रवाह को रोक देता है या उसमें उल्लेखनीय कमी कर देता है तो पाकिस्तान के घनी आबादी वाले मैदानी इलाकों को सर्दियों और शुष्क मौसम में पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि पाकिस्तान की तकरीबन 80 प्रतिशत सिंचित कृषि सिंधु बेसिन की नदियों पर निर्भर है।
   
सिंधु जल संधि पर विवादभारत और पाकिस्तान में सिंधु जल संधि (IWT) 1960 में हुई थी। यह संधि भारत और पाकिस्तान में बहने वाली छह नदियों के पानी का बंटवारा करती है। इस साल अप्रैल में पहलगाम के आतंकी हमले के बाद भारत ने IWT को निलंबित करने का ऐलान किया है। भौगोलिक स्थिति के चलते सभी नदियां भारत से पाकिस्तान की तरफ बहती हैं। ऐसे में भारत की ओर से पानी रोकने की बात कहे जाने से पाकिस्तान में अपनी खेती और दूसरी जरूरतों के लिए पानी को लेकर डर है।
  
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, सिंधु जल समझौते पर भारत का रुख पाकिस्तान के लिए बड़ी चिंता का सबब है। भारत छोटे कदम भी उठाता है तो पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर सिंचाई प्रभावित होगी क्योंकि इस्लामाबाद में विविधताओं को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त भंडारण क्षमता का अभाव है। ऐसे में भारत का बड़ा और निर्णायक कदम पाकिस्तान को भारी नुकसान कर सकता है।
पाकिस्तान के पास संसाधन नहींसिडनी स्थित थिंक टैंक, इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस (आईईपी) की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि पाकिस्तान की बांध क्षमता सिंधु नदी के प्रवाह को सिर्फ 30 दिन रोक सकती है। ऐसे में लंबे समय तक कोई भी कटौती विनाशकारी होगी। वर्तमान में नदियों के प्रवाह को बंद करने की भारत की क्षमता उसके बुनियादी ढांचे के कारण सीमित है। यही पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी राहत की बात है। पश्चिमी नदियों पर भारत के सभी बांध रन-ऑफ-द-रिवर परियोजनाएं हैं, जिनमें न्यूनतम भंडारण क्षमता है।
आईईपी की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के लिए यह एक खतरा गंभीर है। अगर भारत सचमुच सिंधु नदी के प्रवाह को रोक देता है या उसमें उल्लेखनीय कमी कर देता है तो पाकिस्तान के घनी आबादी वाले मैदानी इलाकों को सर्दियों और शुष्क मौसम में पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि पाकिस्तान की तकरीबन 80 प्रतिशत सिंचित कृषि सिंधु बेसिन की नदियों पर निर्भर है।
सिंधु जल संधि पर विवादभारत और पाकिस्तान में सिंधु जल संधि (IWT) 1960 में हुई थी। यह संधि भारत और पाकिस्तान में बहने वाली छह नदियों के पानी का बंटवारा करती है। इस साल अप्रैल में पहलगाम के आतंकी हमले के बाद भारत ने IWT को निलंबित करने का ऐलान किया है। भौगोलिक स्थिति के चलते सभी नदियां भारत से पाकिस्तान की तरफ बहती हैं। ऐसे में भारत की ओर से पानी रोकने की बात कहे जाने से पाकिस्तान में अपनी खेती और दूसरी जरूरतों के लिए पानी को लेकर डर है।
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