इस्लामाबाद: कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में भूमिका से पाकिस्तान ने इनकार किया है। पाकिस्तान सरकार ने जोर देकर कहा है कि इस घटना में उनका देश किसी भी तरह से शामिल नहीं है। एक ओर पाकिस्तान अपनी सफाई दे रहा है तो वहीं दूसरी ओर 26 लोगों की जान लेने वाले इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े गुट का नाम सामने आ रहा है। दावा है कि पहलगाम हमले के पीछे लश्कर के चीफ हाफिज सईद का दिमाग था, जो पहले भी भारत में टेरर अटैक की साजिश रचता रहा है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, पहलगाम में पर्यटकों पर हमले को लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े समूह ने अंजाम दिया है। इस समूह में ज्यादातर पाकिस्तानी आतंकवादी हैं। इन आतंकियों को घाटी के अपने स्थानीय नेटवर्क से मदद मिली। इस पूरे मॉड्यूल को 26/11 के हमलों का मास्टरमाइंड हाफिज सईद ऑपरेट कर रहा है। पहलगाम हमले में हाशिम मूसा को मुख्य संदिग्ध माना जा रहा है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पहलगाम हमले में तीन संदिग्धों के स्केच जारी किए हैं। इनमें से दो पाकिस्तानी नागरिक- हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान और अली भाई उर्फ तलहा हैं। तीसरा अब्दुल हुसैन ठोकर अनंतनाग का रहने वाला है। कश्मीर में लगातार सक्रिय है समूहरिपोर्ट के अनुसार, इस मॉड्यूल को सीधे लश्कर प्रमुख हाफिज सईद और उसके डिप्टी सैफुल्लाह पाकिस्तान में बैठकर नियंत्रित करते हैं। खुफिया एजेंसियों का कहना है कि मॉड्यूल को लॉजिस्टिक और सामरिक मार्गदर्शन पाकिस्तान से मिलता है। समूह में ज्यादातर आतंकी विदेशी हैं। इनका कश्मीर में भी नेटवर्क है, जिससे इनको मदद मिलती है। पहलगाम की साजिश भी इस मॉड्यूल की मदद से सईद ने ही रची।यह मॉड्यूल कश्मीर घाटी में लंबे समय से सक्रिय है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यह सोनमर्ग, बूटा पथरी और गांदरबल में हुए कई बड़े हमलों में शामिल रहा है। इसी गुट ने बीते साल अक्टूबर में बूटा पथरी में दो भारतीय सेना के जवानों सहित चार लोगों को मारस डाला था। इसी गुट ने सोनमर्ग में सुरंग निर्माण में लगे मजदूरों पर हमला हुआ था। इस हमले में सात लोग मारे गए थे। हमले के बाद हो जाते हैं अंडरग्राउंडसोनमर्ग हमले के बाद मॉड्यूल का एक अहम सदस्य जुनैद अहमद भट्ट मारा गया था। जुनैद लश्कर का आतंकवादी था और कुलगाम का रहने वाला था। वह दिसंबर, 2024 में डाचीगाम में एक मुठभेड़ में मारा गया था। उसके साथी भागने में सफल रहे थे। इस गुट के आतंकी हमले के बाद आमतौर पर भूमिगत हो जाते हैं और पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से अगले आदेश का इंतजार करते हैं।
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