नेपीडा: म्यांमार में चल रहे गृहयुद्ध में बीते कुछ महीने विद्रोहियों के दबदबे वाले रहे थे। विद्रोहियों ने जुंटा सेना को पछाड़ते हुए क्यौकमे शहर पर भी कब्जा कर लिया था, जो चीन से म्यांमार के बाकी हिस्सों तक जाने वाले मुख्य व्यापार मार्ग पर स्थित है। इससे लगा कि 2021 में सत्ता पर कब्जा करने वाले सैन्य जुंटा के हाथ से नियंत्रण निकल रहा है लेकिन बीते कुछ समय में स्थिति बदल गई है। जुंटा सेना ने फिर से क्यौकमे पर कब्जा कर लिया है। इससे म्यांमार में सैन्य संतुलन जुंटा के पक्ष में हो गया है। जुंटा को यह बढ़त चीन की वजह से मिल रही है। चीन की मदद से जुंटा ने अराकान आर्मी और दूसरे विद्रोही गुटों पर ताबड़तोड़ हवाई हमले किए हैं। इससे भारत के पड़ोस में लड़ाई भीषण हो गई है।
जुंटा ने विद्रोहियों से कई अहम ठिकाने छीनने के लिए लड़ाकू विमानों से बमबारी की है। वहीं तोपखाने और ड्रोन से भी हमले किए हैं। इससे ना सिर्फ विद्रोही लड़ाके बल्कि आबादी का भी बड़ा शहर छोड़कर भागने को मजबूर हुआ है। क्यौकमे ही नहीं टीएनएलए के कब्जे से ह्सिपाव भी जुंटा सेना ने अपने अभियान के बाद छुड़ा लिया है। ये जुंटा की एक और बड़ी सफलता है।
चीन की जुंटा को मददक्यौकमे और ह्सिपाव जैसे शहरों के विद्रोहियों के नियंत्रण से जुंटा के कब्जे में आने के पीछे चीन है। चीन ने दिसंबर में चुनाव कराने की सैन्य जुंटा की योजना को अपना समर्थन दिया है। हालांकि इस योजना की निंदा हो रही है क्योंकि इसमें आंग सान सू की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी को शामिल नहीं किया गया है। सू ने पिछला चुनाव जीता था लेकिन तख्तापलट में उनकी सरकार गिर गई। तख्तापलट के बाद से म्यांमार का बड़ा हिस्सा गृहयुद्ध में है।
जुंटा सेना अपने खोए हुए क्षेत्र वापस लेने की कोशिश कर रही है ताकि इन क्षेत्रों में चुनाव हो सकें। चीन ने हजारों ड्रोन जुंटा को दिए हैं। इसका सीधा फायदा उनको मिल रहा है। जुंटा सैनिक धीमे और आसानी से उड़ने वाले मोटर चालित पैराग्लाइडर का भी इस्तेमाल कर रहा है, जो कम सुरक्षा वाले क्षेत्रों में उड़ान भर सकते हैं और उच्च सटीकता के साथ बम गिरा सकते हैं। जुंटा सैनिक चीन से मिले विमानों से लगातार बमबारी कर रहा है।
कई मोर्चों पर युद्धटीएनएलए अकेला विद्रोही गुट नहीं है, जिसे जुंटा के हमलों के बाद पीछे हटना पड़ है। चीन के दबाव के बाद अप्रैल में ब्रदरहुड अलायंस के एक और समूह एमएनडीएए ने लाशियो छोड़ दिया था, जो पहले शान राज्य में सेना का मुख्यालय था। एमएनडीएए भी जुंटा से लड़ाई बंद करने पर सहमत हो गया है।
शान विद्रोही समूहों में शक्तिशाली और सबसे ज्यादा हथियारों से लैस यूडब्ल्यूएसए भी चीन के आगे झुक गया है।
म्यांमार में चीन के हित जगजाहिर हैं। दोनों देशों की एक लंबी सीमा है। म्यांमार को हिंद महासागर और दक्षिण-पश्चिमी चीन के लिए तेल और गैस आपूर्ति के प्रवेश द्वार के रूप में देखा जाता है। कई चीनी कंपनियों ने अब वहां बड़े निवेश किए हैं। हालांकि चीन के लिए युद्ध समाप्त करना आसान नहीं है। एक्सपर्ट का कहना है कि म्यांमार में ये लड़ाई दशकों चल सकती है।
जुंटा ने विद्रोहियों से कई अहम ठिकाने छीनने के लिए लड़ाकू विमानों से बमबारी की है। वहीं तोपखाने और ड्रोन से भी हमले किए हैं। इससे ना सिर्फ विद्रोही लड़ाके बल्कि आबादी का भी बड़ा शहर छोड़कर भागने को मजबूर हुआ है। क्यौकमे ही नहीं टीएनएलए के कब्जे से ह्सिपाव भी जुंटा सेना ने अपने अभियान के बाद छुड़ा लिया है। ये जुंटा की एक और बड़ी सफलता है।
चीन की जुंटा को मददक्यौकमे और ह्सिपाव जैसे शहरों के विद्रोहियों के नियंत्रण से जुंटा के कब्जे में आने के पीछे चीन है। चीन ने दिसंबर में चुनाव कराने की सैन्य जुंटा की योजना को अपना समर्थन दिया है। हालांकि इस योजना की निंदा हो रही है क्योंकि इसमें आंग सान सू की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी को शामिल नहीं किया गया है। सू ने पिछला चुनाव जीता था लेकिन तख्तापलट में उनकी सरकार गिर गई। तख्तापलट के बाद से म्यांमार का बड़ा हिस्सा गृहयुद्ध में है।
जुंटा सेना अपने खोए हुए क्षेत्र वापस लेने की कोशिश कर रही है ताकि इन क्षेत्रों में चुनाव हो सकें। चीन ने हजारों ड्रोन जुंटा को दिए हैं। इसका सीधा फायदा उनको मिल रहा है। जुंटा सैनिक धीमे और आसानी से उड़ने वाले मोटर चालित पैराग्लाइडर का भी इस्तेमाल कर रहा है, जो कम सुरक्षा वाले क्षेत्रों में उड़ान भर सकते हैं और उच्च सटीकता के साथ बम गिरा सकते हैं। जुंटा सैनिक चीन से मिले विमानों से लगातार बमबारी कर रहा है।
कई मोर्चों पर युद्धटीएनएलए अकेला विद्रोही गुट नहीं है, जिसे जुंटा के हमलों के बाद पीछे हटना पड़ है। चीन के दबाव के बाद अप्रैल में ब्रदरहुड अलायंस के एक और समूह एमएनडीएए ने लाशियो छोड़ दिया था, जो पहले शान राज्य में सेना का मुख्यालय था। एमएनडीएए भी जुंटा से लड़ाई बंद करने पर सहमत हो गया है।
शान विद्रोही समूहों में शक्तिशाली और सबसे ज्यादा हथियारों से लैस यूडब्ल्यूएसए भी चीन के आगे झुक गया है।
म्यांमार में चीन के हित जगजाहिर हैं। दोनों देशों की एक लंबी सीमा है। म्यांमार को हिंद महासागर और दक्षिण-पश्चिमी चीन के लिए तेल और गैस आपूर्ति के प्रवेश द्वार के रूप में देखा जाता है। कई चीनी कंपनियों ने अब वहां बड़े निवेश किए हैं। हालांकि चीन के लिए युद्ध समाप्त करना आसान नहीं है। एक्सपर्ट का कहना है कि म्यांमार में ये लड़ाई दशकों चल सकती है।
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