मनीला: नेपाल के बाद फिलीपींस में भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों से पहले तख्तापलट की अफवाह चरम पर हैं। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकारी पैसों से चलने वाली बाढ़ नियंत्रण परियोजनाओं में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। ऐसे में इस भ्रष्टाचार के खिलाफ फिलीपींस में विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया गया है। हालांकि, इसके ठीक पहले राजधानी में तख्तापलट की अफवाहें फैल गई हैं। इस कारण सेना को "रेड अलर्ट" पर रखा गया और उसके सभी कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गईं। हाल में ही नेपाल में ऐसे ही भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों के कारण केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सरकार को इस्तीफा देना पड़ा था। इतना ही नहीं, प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट, संसद भवन, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के निजी आवास, प्रमुख पार्टियों के कार्यालयों को आग लगा दी थी।
सेना को बगावत के लिए उकसा रही ताकतें
फिलीपीनी सेना के करीबी और भीतरी सूत्रों ने "दिस वीक इन एशिया" को पुष्टि की कि कुछ निजी व्यक्ति, पूर्व जनरल और समूह वर्तमान सैन्य अधिकारियों को कमांडर-इन-चीफ और राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर से अपना समर्थन वापस लेने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे थे। रक्षा सचिव गिल्बर्टो टेओडोरो जूनियर और फिलीपींस के सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल रोमियो ब्राउनर जूनियर ने शनिवार को एक संयुक्त बयान जारी कर फिलीपींस के सशस्त्र बलों से "समर्थन वापस लेने के आह्वान के बीच राष्ट्रीय एकता और संविधान की रक्षा" की वकालत की।
फिलीपींस ने विदेशी हाथ का शक जताया
उन्होंने कहा, "हम कुछ समूहों द्वारा सशस्त्र बलों को संरक्षण देने के सभी प्रयासों को खारिज करते हैं जो सशस्त्र बलों द्वारा असंवैधानिक, एकतरफा हस्तक्षेप का संकेत देते हैं या सुझाव देते हैं।" उन्होंने इन प्रदर्शनों के पीछे बिना किसी समूह या व्यक्ति का नाम लिए ऐसे कदमों को "निरर्थक" बताया। तियोदोरो और ब्रॉनर ने चेतावनी दी कि "हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर, हमारी शांति और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरों के मद्देनजर, सशस्त्र बलों को उनके मिशन पर ध्यान केंद्रित करने से विचलित करने के राजनीतिक रूप से प्रेरित प्रयास न केवल निरर्थक हैं, बल्कि गैर-ज़िम्मेदाराना भी हैं।"
फिलीपींस में प्रदर्शनों के पीछे कौन है?
फिलीपींस की चीन के साथ तनावपूर्ण संबंध हैं। दोनों देश दक्षिण चीन सागर में द्वीपों को लेकर आमने-सामने हैं। ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि फिलीपींस में तख्तापलट की कोशिश के पीछे चीन का हाथ हो। चीन पहले से ही अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर देशों को अस्थिर करने, उनकी निजता में हस्तक्षेप करने और विदेश नीति को प्रभावित करने को लेकर बदनाम है। दूसरा शक अमेरिका पर भी है, क्योंकि ऐसा आरोप है कि उसके डीप स्टेट ने पिछले कुछ वर्षों में एशिया के कई देशों में तख्तापलट को अंजाम दिया है, जिसमें पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल शामिल हैं।
सेना को बगावत के लिए उकसा रही ताकतें
फिलीपीनी सेना के करीबी और भीतरी सूत्रों ने "दिस वीक इन एशिया" को पुष्टि की कि कुछ निजी व्यक्ति, पूर्व जनरल और समूह वर्तमान सैन्य अधिकारियों को कमांडर-इन-चीफ और राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर से अपना समर्थन वापस लेने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे थे। रक्षा सचिव गिल्बर्टो टेओडोरो जूनियर और फिलीपींस के सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल रोमियो ब्राउनर जूनियर ने शनिवार को एक संयुक्त बयान जारी कर फिलीपींस के सशस्त्र बलों से "समर्थन वापस लेने के आह्वान के बीच राष्ट्रीय एकता और संविधान की रक्षा" की वकालत की।
फिलीपींस ने विदेशी हाथ का शक जताया
उन्होंने कहा, "हम कुछ समूहों द्वारा सशस्त्र बलों को संरक्षण देने के सभी प्रयासों को खारिज करते हैं जो सशस्त्र बलों द्वारा असंवैधानिक, एकतरफा हस्तक्षेप का संकेत देते हैं या सुझाव देते हैं।" उन्होंने इन प्रदर्शनों के पीछे बिना किसी समूह या व्यक्ति का नाम लिए ऐसे कदमों को "निरर्थक" बताया। तियोदोरो और ब्रॉनर ने चेतावनी दी कि "हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर, हमारी शांति और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरों के मद्देनजर, सशस्त्र बलों को उनके मिशन पर ध्यान केंद्रित करने से विचलित करने के राजनीतिक रूप से प्रेरित प्रयास न केवल निरर्थक हैं, बल्कि गैर-ज़िम्मेदाराना भी हैं।"
फिलीपींस में प्रदर्शनों के पीछे कौन है?
फिलीपींस की चीन के साथ तनावपूर्ण संबंध हैं। दोनों देश दक्षिण चीन सागर में द्वीपों को लेकर आमने-सामने हैं। ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि फिलीपींस में तख्तापलट की कोशिश के पीछे चीन का हाथ हो। चीन पहले से ही अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर देशों को अस्थिर करने, उनकी निजता में हस्तक्षेप करने और विदेश नीति को प्रभावित करने को लेकर बदनाम है। दूसरा शक अमेरिका पर भी है, क्योंकि ऐसा आरोप है कि उसके डीप स्टेट ने पिछले कुछ वर्षों में एशिया के कई देशों में तख्तापलट को अंजाम दिया है, जिसमें पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल शामिल हैं।
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