केंद्र सरकार के लिए पेंशन बन गई सबसे बड़ी जिम्मेदारी
Salary vs pension: केंद्र सरकार के ताजा बजट प्रोफाइल से एक चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है।
अब सरकार का पेंशन पर खर्च उसके वेतन खर्च से अधिक हो गया है। 2025-26 के बजट में पेंशन पर ₹2.77 लाख करोड़ जबकि वेतन पर ₹1.66 लाख करोड़ खर्च करने का अनुमान है। यह सिलसिला 2023-24 से शुरू हुआ और अब भी जारी है।
यह बदलाव 2023-24 से देखने को मिल रहा है, जब पहली बार पेंशन का खर्च वेतन से अधिक हुआ। तब से यह अंतर लगातार बढ़ता जा रहा है। इस ट्रेंड ने न सिर्फ सरकारी खर्च के ढांचे पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दर्शाया है कि सरकारी नौकरियों की संख्या में कमी आई है या वेतन मद का पुनर्गठन किया गया है।
आज के दौर में जब युवाओं को स्थायी सरकारी नौकरियों की तलाश है और लाखों उम्मीदवार UPSC, SSC, बैंक और रेलवे की तैयारी कर रहे हैं, ऐसे में सरकार द्वारा वेतन मद में कटौती और भत्तों को अलग श्रेणी में डालने की नीति पर सवाल उठते रहें हैं।
सरकार ने भत्तों को 'वेतन' से अलग कर 'अन्य भत्तों' की श्रेणी में गिनना शुरू कर दिया है। इससे कुल खर्च में बदलाव नहीं हुआ, लेकिन 'वेतन' घटता हुआ दिखाई दे रहा है। इससे आने वाले 8वें वेतन आयोग पर भी प्रभाव पड़ सकता है, जिसे 2027 से लागू किया जाना है। अगर सरकार वेतन में वृद्धि की जगह भत्तों को प्राथमिकता देती रही, तो यह नई भर्ती करने वाले कर्मचारियों के लिए फायदेमंद नहीं होगा। इसके साथ ही, यह सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े करता है कि क्या वह वेतन आयोग की सिफारिशों को पूरी तरह लागू करेगी या नहीं।
वर्तमान भारत की युवा आबादी, जो सरकारी रोजगार को सुरक्षित भविष्य मानती है, ऐसे बदलावों से प्रभावित हो सकती है। इस आर्थिक नीति में पारदर्शिता और स्थायित्व को लेकर बहस और बढ़ सकती है, खासकर ऐसे समय में जब देश को रोजगार, विकास और सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर मजबूत रणनीति की जरूरत है। सरकार की इस नई प्रवृत्ति ने कर्मचारियों के बीच चिंता भी बढ़ा दी है कि कहीं वेतन वृद्धि के बजाय भत्तों के जरिए भुगतान की नीति को आगे न बढ़ाया जाए। ऐसे में अब सबकी निगाहें 8वें वेतन आयोग की रिपोर्ट और उसके लागू होने की प्रक्रिया पर टिक गई हैं।
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