साल के वो9दिन आने वाले हैं,जिनका हम सबको बेसब्री से इंतज़ार रहता है... जब हवा में एक अलग ही ऊर्जा घुल जाती है,हर तरफ घंटियों की आवाज़ गूंजती है और शाम होते ही पूरा माहौल रंग-बिरंगे कपड़ों और संगीत से सराबोर हो जाता है।जी हाँ,हम बात कर रहे हैंशारदीय नवरात्रिकी! इस साल माँ दुर्गा का यह महापर्व22सितंबरसे शुरू हो रहा है।नवरात्रि का नाम आते ही पूजा-पाठ और व्रत के साथ-साथ जो दो तस्वीरें हमारे दिमाग में सबसे पहले बनती हैं,वो हैंगरबाऔरडांडियाकी। हममें से ज़्यादातर लोग इसे बस नाच-गाने,मस्ती और दोस्तों के साथ झूमने का एक मौका समझते हैं।लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह सिर्फ एक डांस नहीं है?इसके पीछे छिपा है एक बहुत ही गहरा धार्मिक और वैज्ञानिक रहस्य!तो क्या है गरबा का असली मतलब?'गरबा'शब्द संस्कृत के'गर्भ-दीप'से निकला है।गर्भ:यानी माँ का गर्भ,जहाँ से जीवन की शुरुआत होती है।दीप:यानी दीपक,जो उस जीवन और प्रकाश का प्रतीक है।आपने देखा होगा कि गरबा हमेशा एक मिट्टी के मटके के चारों ओर किया जाता है,जिसमें छेद होते हैं और उसके अंदर एक दीपक जलता रहता है।यहमटकाहमारे शरीर या पूरे ब्रह्मांड का प्रतीक है।और उसके अंदर जलतादीपकहमारी आत्मा या उस जीवन-ऊर्जा (माँ दुर्गा की शक्ति) का प्रतीक है जो हम सबके अंदर है।जब हम उस घड़े के चारों ओर एक चक्र में घूमते हैं, तो दरअसल हम जीवन और मृत्यु के चक्र को प्रतिबिंबित कर रहे होते हैं। समय इसी तरह गोल-गोल घूमता रहता है, जन्म, जीवन, मृत्यु और फिर पुनर्जन्म... इस घूमते हुए चक्र में बस एक चीज़ स्थिर है - केंद्र में स्थित माँ दुर्गा की शक्ति, यानी वह जलता हुआ दीपक।और जब हम गरबा मेंतालियां (Taali)बजाते हैं,तो यह असल में माँ दुर्गा की एक जीवंत महाआरती होती है,जो हम अपने शरीर की पूरी ऊर्जा से करते हैं।तो फिर डांडिया का क्या राज है?अगर गरबा जीवन के उत्सव का प्रतीक है,तो डांडियाबुराई पर अच्छाई की जीतका उत्सव है।डांडिया रास,माँ दुर्गा और राक्षस महिषासुर के बीच हुए भयानक युद्ध का एक नाटकीय रूपांतरण है।जो रंग-बिरंगीडांडिया (Sticks)आप हाथ में लेकर नाचते हैं,वो असल मेंमाँ दुर्गा की तलवारोंका प्रतीक हैं।और जब डांडिया की'टक-टक'की आवाज़ होती है,तो यह उस युद्ध के कोलाहल को दर्शाती है।यह डांस असल में एक जश्न है,इस बात का जश्न कि कैसे माँ दुर्गा ने अपनी शक्ति से महिषासुर का वध करके दुनिया को उसके आतंक से बचाया था।तो अगली बार जब आप नवरात्रि में गरबा के गोले में घूमें या डांडिया की खनक पर झूमें,तो यह ज़रूर याद रखिएगा कि आप सिर्फ नाच नहीं रहे हैं... आप ब्रह्मांड के चक्र का हिस्सा बन रहे हैं,आप अपने शरीर से माँ की आरती कर रहे हैं और आप बुराई पर अच्छाई की उस महान जीत का जश्न मना रहे हैं।
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