News India Live, Digital Desk: Beekeeping Business : मधुमक्खी पालन भारतीयों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहा है. हाल ही में सामने आए आंकड़े बताते हैं कि देश में 20,000 मीट्रिक टन शहद का प्रोडक्शन हुआ है. इससे मधुमक्खी पालकों को लगभग 325 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है. साथ ही वित्त वर्ष 2024-25 में केवीआईसी से जुड़े मधुमक्खी पालकों ने करीब 25 करोड़ रुपये मूल्य का शहद विदेश में निर्यात किया है.
क्या आपको भी शहद खाने का शौक है और शहद के बेहिसाब फायदे आप जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस शहद को खाकर आपकी सेहत को फायदा हो रहा है, उसी शहद की पैदावार से भारतीयों को हजारों नहीं बल्कि करोड़ों का मुनाफा हो रहा है.
पूरी दुनिया में 20 मई को मधुमक्खी दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर केवीआईसी (Khadi and Village Industries Commission) में स्वीट रेवोल्यूशन उत्सव का आयोजन किया गया. इसी दौरान सामने आया कि कैसे मधुमक्खी पालन भारतीयों के लिए लाभदायक साबित हो रहा है और बड़ी कामयाबी का रास्ता बन रहा है.
केवीआईसी के हनी मिशन के तहत अभी तक 20,000 मैट्रिक टन शहद का प्रोडक्शन हुआ है. जिससे मधुमक्खी पालकों को 325 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है. साथ ही “हनी मिशन” कार्यक्रम के तहत देश में मधुमक्खी पालन को बढ़ाने के लिए अब तक देश भर में 2 लाख से अधिक मधुमक्खी बक्से और मधु कॉलोनियां बांटी जा चुकी हैं.
‘स्वीट रेवोल्यूशन’ ने मधुमक्खी पालकों और किसानों के जीवन को बदला है. इस मौके पर केवीआईसी अध्यक्ष ने हनी मिशन की उपलब्धियों पर रोशनी डालते हुए कहा कि केवीआईसी ने अब तक देशभर में 2,29,409 मधुमक्खी बक्से और मधु कॉलोनियां बांटी, जिससे लगभग 20,000 मीट्रिक टन शहद का प्रोडक्शन हुआ है. इससे मधुमक्खी पालकों को लगभग 325 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है. साथ ही उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में केवीआईसी से जुड़े मधुमक्खी पालकों ने करीब 25 करोड़ रुपये मूल्य का शहद विदेश में निर्यात किया है.
युवाओं-महिलाओं को मिल रहा रोजगारइस मौके पर केवीआईसी की सीईओ राशि ने कहा, “हनी मिशन सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि यह एक आजीविका मॉडल है. आज ग्रामीण क्षेत्रों में हजारों युवाओं, महिलाओं और किसानों को इस मिशन से रोजगार मिल रहा है.
कार्यक्रम में केंद्रीय मधुमक्खी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीबीआरटीआई), पुणे का भी जिक्र किया गया. बताया गया कि साल 1962 में स्थापित इस संस्थान ने आज तक 50,000 से ज्यादा मधुमक्खी पालकों को आधुनिक तकनीकों की ट्रेनिंग दी है.
कार्यक्रम के दौरान वैज्ञानिकों ने बताया कि मधुमक्खियां सिर्फ शहद प्रोडक्शन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि लगभग 75 प्रतिशत खाद्य फसलों मधुमक्खियों के जरिए तैयार होती है, अगर मधुमक्खियां न रहें, तो 30 प्रतिशत खाद्य फसलें और 90 प्रतिशत जंगली पौधों की प्रजातियां संकट में आ सकती हैं.
किन राज्यों में सबसे ज्यादा प्रोडक्शनशहद का इस्तेमाल पूरे देश में किया जाता है, लेकिन सबसे ज्यादा मधुमक्खी पालन उत्तर प्रदेश में होता है. उत्तर प्रदेश में22.5 मीट्रिक टन शहद प्रोडक्शन हुआ है. इसी के साथ मधुमक्खी पालन में यूपी सबसे आगे हैं. यूपी के बाद पश्चिम बंगाल, पंजाब और बिहार हैं, बिहार के बाद राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और जम्मू और कश्मीर का नाम शहद प्रोडक्शन में टॉप 10 राज्यों में शामिल है.
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