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इज़राइल का ईरान पर हवाई हमला: क्या है इसके पीछे की रणनीति?

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इज़रायली वायुसेना का नया हमला

21 जून को, इज़रायली वायुसेना ने ईरान के इस्फहान में एक बार फिर से हवाई हमले का संचालन किया, जिसका लक्ष्य राज्य के प्रमुख परमाणु स्थल को बनाना था। यह कार्रवाई इज़राइल की लंबी अवधि की रणनीतिक योजना का संकेत देती है।


IRGC के तीन वरिष्ठ कमांडरों की हत्या

इस हमले में तीन उच्च पदस्थ IRGC कमांडरों को निशाना बनाकर मार गिराया गया, जिससे परमाणु अनुसंधान केंद्रों को भी गंभीर नुकसान हुआ। स्थानीय सुरक्षा अधिकारी अकबर सालेही ने बताया कि इज़रायली हमले से भौतिक संरचनाओं को क्षति पहुंची है, लेकिन अभी तक किसी हताहत की सूचना नहीं है।


परमाणु क्षमताओं को कमजोर करने की योजना

इज़रायली सेना ने इस कार्रवाई को ईरान की परमाणु क्षमताओं को कमजोर करने की एक महत्वपूर्ण रणनीति के रूप में देखा है। IDF प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल एफी डेफ्रिन ने कहा कि चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल इयाल ज़मीर ने एक लंबे अभियान की तैयारी का निर्देश दिया है। दूसरी ओर, ईरान ने इस्लामिक रिपब्लिक गार्ड कॉर्प्स और अन्य एजेंसियों के माध्यम से ड्रोन और मिसाइल हमलों की नई लहर शुरू की है, जिसमें उत्तरी इज़राइल की दो मंजिला इमारत भी शामिल है।


मानवीय संकट की गंभीरता

इस संघर्ष के दौरान मानवीय नुकसान भी बढ़ता जा रहा है। ईरानी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक सप्ताह में 400 से अधिक लोग मारे गए हैं, जबकि अमेरिकी मानवाधिकार संगठनों का आंकड़ा 657 से अधिक है, जिसमें 263 से अधिक नागरिक शामिल हैं। यह दर्शाता है कि यह संघर्ष केवल सैन्य टकराव नहीं, बल्कि एक गंभीर मानवीय संकट में बदल चुका है।


वैश्विक चिंताएं और अमेरिका की प्रतिक्रिया

संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, और यूरोपीय देशों जैसे ब्रिटेन, फ्रांस और चीन सहित कई वैश्विक शक्तियों ने इस स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। इस बीच, अमेरिका ने प्रशांत क्षेत्र में B‑2 बमवर्षकों को तैनात कर चेतावनी दी है कि यदि आवश्यक हुआ, तो वह कदम उठा सकता है।


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