इंटरनेट डेस्क। भगवान शिव की उपासना के लिए एक विशेष महीना और कई खास दिन होते हैं, इनमे से ही एक हैं प्रदोष व्रत,यह व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है और इसे फलदायी माना जाता है। वैसे यह व्रत सोमवार के दिन पड़ता है, तो इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव और मां पार्वती को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है।
प्रदोष व्रत का महत्व
कहा जाता है कि जो भक्त श्रद्धा से सोम प्रदोष व्रत रखता है, उसे भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत से जीवन के सभी कष्ट, मानसिक तनाव और आर्थिक संकट दूर होते हैं।
सोम प्रदोष व्रत कब है?
पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि इस वर्ष 3 नवंबर 2025 को सुबह 10.37 बजे से शुरू होकर 4 नवंबर को सुबह 7.35 बजे तक रहेगी।
पंचांग के अनुसार, प्रदोष काल 3 नवंबर की शाम में रहेगा, इसलिए सोम प्रदोष व्रत 3 नवंबर (सोमवार) को मनाया जाएगा।
सोम प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त
प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, जो सूर्यास्त के बाद का समय होता है। इस बार पूजा का शुभ समय शाम 7.25 बजे से रात 9.30 बजे तक रहेगा। इस समय भगवान शिव की आराधना करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है और जीवन के संकट दूर होते हैं।
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