जयपुर। राजस्थान में 12वीं कक्षा की किताब पर मचे बवाल पर अब कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोंविद सिंह डोटासरा ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। इस संबंध में उन्होंने शिक्षा मंत्री मदद दिलावर पर भी निशाना साधा है।
राजस्थान के पूर्व शिक्षा मंत्री डोटासरा ने इस संबंध में एक्स के माध्यम से कहा कि सशक्त भारत के निर्माण में महानायकों का योगदान बताने वाली कक्षा 12वीं की किताबों पर शिक्षा मंत्री द्वारा अनावश्यक विवाद खड़ा करके उन्हें पाठ्यक्रम से हटाने की बयानबाजी करना आरएसएस की संकुचित सोच व शिक्षा व्यवस्था पर वैचारिक प्रहार है। कक्षा 12वीं की ये किताबें भाजपा सरकार की अनुमति के बाद छापी गई हैं, स्वयं शिक्षा मंत्री और अफसरों ने किताबें छापने की स्वीकृति दी है। 4 लाख 90 हजार किताबें छप चुकी हैं और 80 प्रतिशत किताबें विद्यार्थियों को बांटी जा चुकी हैं।
डोटासरा ने एक्स के माध्यम से कहा कि ऐसे में सवाल ये कि अब इन किताबों को पाठ्यक्रम से हटाने का क्या औचित्य है? मंत्री को इन किताबों में अब कौनसी खामी नजर आ रही है, जो उन्हें पहले नहीं दिखाई दी? मंत्री और सरकार के जिम्मेवार अफसरों ने स्वीकृति देने से पहले क्या जांच पड़ताल की? अगर मंत्री बिना बोध के किसी विषय की स्वीकृति दे रहे हैं तो फिर किस बात के मंत्री हैं, क्यों सरकार के करोड़ों रुपए बर्बाद करके शिक्षा व्यवस्था का बेड़ागर्क करने में लगे हैं?
असल में मंत्री का उद्देश्य सिर्फ आरएसएस की विचारधारा विद्यार्थियों पर थोपना है
डोटासरा ने इस संबंध में आगे कहा कि किताबों से पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदान को मिटाना केवल पाठ्यक्रम में बदलाव नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में विचार निर्माण की दिशा को बदलने का प्रयास है। असल में मंत्री का उद्देश्य सिर्फ आरएसएस की विचारधारा एवं भाजपा की राजनीतिक सोच को किताबों के जरिए विद्यार्थियों पर थोपना है।
राज्य की भाजपा सरकार षड्यंत्रपूर्वक इतिहास को तोड़-मरोडक़र एक पक्षीय शिक्षा से आरएसएस की नफरती सोच को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहती है। अगर ऐसा हुआ तो यह न सिर्फ विद्यार्थियों के भविष्य निर्माण के लिए चिंताजनक संकेत है, बल्कि उनमें संकीर्ण व विघटनकारी सोच का कारक भी बन सकती है।
PC: etvbharat
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