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बीमारियों से लगातार जूझ रहे हैं तो करें श्री गणेश अष्टकम का जाप, मिलेगा दिव्य आरोग्य और मानसिक शांति का वरदान

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आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में तनाव, चिंता और बीमारियाँ आम हो गई हैं। आधुनिक जीवनशैली के कारण शरीर तो थकता ही है, मन भी अशांत हो जाता है। ऐसे में न सिर्फ दवाइयों, बल्कि आध्यात्मिक उपायों की ओर भी लोगों का रुझान बढ़ रहा है। इन्हीं उपायों में एक है – श्री गणेश अष्टकम का जाप। यह स्तोत्र न केवल मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि नियमित रूप से इसका पाठ करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से राहत मिलती है।


क्या है गणेश अष्टकम?

गणेश अष्टकम एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान गणेश की आठ विशेष स्तुतियों से युक्त है। इसका पाठ श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से व्यक्ति के जीवन में चल रही रुकावटें दूर होती हैं, और खासतौर पर मानसिक और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसे "श्री गणेशाष्टकम्" भी कहा जाता है और यह स्तोत्र आदि शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है।गणेश जी को 'विघ्नहर्ता', 'मंगलकर्ता', 'बुद्धिदाता' और 'आरोग्यदायक' भी कहा जाता है। यही कारण है कि जब जीवन में बीमारी या स्वास्थ्य से जुड़ी कोई बाधा आती है, तो उनके शरण में जाना अत्यंत फलदायक होता है।

बीमारियों में कैसे मदद करता है गणेश अष्टकम?
वैज्ञानिक रूप से भी यह सिद्ध किया गया है कि मंत्रों और स्तोत्रों का उच्चारण शरीर में विशेष कंपन उत्पन्न करता है, जिससे मानसिक संतुलन और तंत्रिका प्रणाली पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। गणेश अष्टकम का जाप:

मन की बेचैनी और तनाव को शांत करता है।
रोगों से लड़ने की मानसिक शक्ति प्रदान करता है।
ध्यान और एकाग्रता में वृद्धि करता है, जिससे स्वास्थ्य सुधार में मदद मिलती है।
निराशा और नकारात्मकता से बाहर निकलने का आत्मबल देता है।

श्री गणेश अष्टकम का पहला श्लोक
प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।


भक्तावासं स्मरेन्नित्यं आयुःकामार्थसिद्धये॥
इस श्लोक में कहा गया है कि जो व्यक्ति प्रतिदिन सिर झुकाकर भगवान विनायक (गणेशजी) का स्मरण करता है, उसे दीर्घायु, सुख और सभी इच्छाओं की पूर्ति प्राप्त होती है।

कैसे करें गणेश अष्टकम का जाप?
गणेश अष्टकम का जाप अत्यंत सरल है। कोई विशेष सामग्री की आवश्यकता नहीं होती, बस मन की शुद्धता और श्रद्धा चाहिए।

पाठ विधि:
प्रातः स्नान कर शांत स्थान पर बैठ जाएं।


भगवान गणेश का चित्र या मूर्ति सामने रखें।
दीपक जलाएं और थोड़े से फूल, दूर्वा, और गुड़ या मोदक चढ़ाएं।
श्री गणेश अष्टकम का शांत मन से पाठ करें।
पाठ के बाद “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का 11 बार जाप करें।
यह क्रिया प्रतिदिन करने से न केवल बीमारियाँ दूर होती हैं, बल्कि मानसिक बल और आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है।

विशेष लाभ किन लोगों को मिलते हैं?
अस्थमा, डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर जैसी पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोग जब इसका जाप करते हैं, तो उन्हें मानसिक शांति और रोग सहन करने की शक्ति मिलती है।
डिप्रेशन, चिंता, अनिद्रा जैसे मानसिक रोगों से जूझ रहे लोगों के लिए यह जाप अत्यंत लाभकारी है।
बच्चों और विद्यार्थियों में एकाग्रता बढ़ाने तथा उन्हें मानसिक तनाव से दूर रखने के लिए यह अष्टक रामबाण जैसा काम करता है।
बुज़ुर्ग और रोगग्रस्त लोग भी इसका जाप या श्रवण करके राहत महसूस कर सकते हैं।

गणेश अष्टकम और सकारात्मक ऊर्जा
धार्मिक दृष्टि से, गणेश जी के मंत्र और स्तोत्र नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करते हैं। जब मन दुखी होता है और शरीर बीमारियों से जूझ रहा होता है, तब यह जाप मन और आत्मा दोनों को संबल प्रदान करता है। यह सिर्फ शब्दों का मेल नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का ऐसा प्रवाह है जो व्यक्ति को नई शक्ति और प्रेरणा देता है।

चिकित्सा और अध्यात्म का मेल
आजकल कई आयुर्वेदिक चिकित्सक और योग विशेषज्ञ भी आध्यात्मिक उपायों को अपनाने की सलाह देते हैं। ध्यान, प्राणायाम और मंत्र जाप के साथ यदि व्यक्ति गणेश अष्टकम का पाठ करता है, तो उसे शरीर और मन दोनों स्तर पर लाभ मिलता है। कई मामलों में देखा गया है कि जिन मरीजों ने नियमित रूप से इस अष्टक का जाप किया, उनकी बीमारी के लक्षणों में तेजी से सुधार हुआ।

निष्कर्ष
जब जीवन में कोई रास्ता नहीं सूझता, तब भगवान गणेश का स्मरण संजीवनी की तरह कार्य करता है। यदि आप लंबे समय से किसी शारीरिक या मानसिक बीमारी से परेशान हैं, तो आज से ही श्री गणेश अष्टकम का जाप आरंभ करें। यह आपको सिर्फ स्वास्थ्य नहीं, बल्कि आत्मबल, मानसिक शांति और दिव्य ऊर्जा प्रदान करेगा। गणपति बप्पा की कृपा से हर बाधा दूर हो सकती है – बस सच्चे मन से उन्हें याद करना आवश्यक है।

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