7 सितंबर 2025 को लगने वाला चंद्र ग्रहण रात 8:58 बजे शुरू होगा और 8 सितंबर को सुबह 2:25 बजे तक रहेगा। यह ग्रहण कुंभ राशि में शतभिषा नक्षत्र में लगेगा, जो राहु के प्रभाव में है। सूतक काल दोपहर 12:57 बजे से शुरू होगा और ग्रहण की समाप्ति तक रहेगा। इस दिन भाद्रपद पूर्णिमा तिथि रात 11:38 बजे तक रहेगी, जिसके बाद आश्विन मास की प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी। नक्षत्र की बात करें तो शतभिषा नक्षत्र रात 9:41 बजे तक रहेगा, फिर पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र शुरू होगा। इस दिन सुकर्मा योग सुबह 9:23 बजे तक रहेगा, जिसके बाद धृति योग शुरू होगा। करण की स्थिति देखें तो विष्टि करण दोपहर 12:43 बजे तक रहेगा, फिर बव करण रात 11:38 बजे तक रहेगा, और इसके बाद बालव करण शुरू होगा। ग्रहों की स्थिति ऐसी रहेगी कि चंद्रमा कुंभ राशि में राहु के साथ युति बनाएगा, सूर्य, बुध और केतु सिंह राशि में, बृहस्पति मिथुन राशि में, शुक्र कर्क राशि में, मंगल कन्या राशि में और शनि मीन राशि में रहेगा। कुंभ राशि में चंद्र ग्रहण के प्रभाव से राहु और चंद्रमा की युति भ्रम, मानसिक तनाव और भावनात्मक अस्थिरता ला सकती है। रहस्य और परिवर्तन का प्रतीक शतभिषा नक्षत्र इस प्रभाव को और गहरा कर सकता है। आइए जानते हैं कि किन राशियों के लिए यह दिन ठीक नहीं रहेगा और दिन को अच्छा बनाने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।
कर्क
कर्क राशि चंद्रमा के स्वामित्व वाली राशि है और चंद्र ग्रहण का इस राशि पर सीधा प्रभाव पड़ता है। कुंभ राशि में चंद्रमा और राहु की युति कर्क राशि के जातकों के लिए मानसिक तनाव, भावनात्मक अस्थिरता और निर्णय लेने में असमंजस की स्थिति ला सकती है। शुक्र का कर्क राशि में होना रिश्तों में तनाव पैदा कर सकता है। विष्टि करण और शतभिषा नक्षत्र का प्रभाव इस दिन को और जटिल बना सकता है। उपाय: राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें। सुबह और शाम भगवान राम की पूजा करें और 'ॐ रां रामाय नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें।
सिंह
सिंह राशि में सूर्य, बुध और केतु की युति इस राशि के आत्मविश्वास और स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकती है। सिंह राशि के विपरीत भाव कुंभ राशि में चंद्र ग्रहण, रिश्तों और साझेदारी में तनाव ला सकता है। विष्टि करण के प्रभाव से दिन की शुरुआत में कुछ बाधाएँ आ सकती हैं। उपाय: भगवान नरसिंह की पूजा करें और नरसिंह मंत्र 'ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलं सर्वतोमुखम्' का जाप करें।
वृश्चिक
वृश्चिक राशि के लिए, चंद्र ग्रहण का प्रभाव पारिवारिक और भावनात्मक मामलों पर पड़ सकता है। कुंभ राशि में राहु और चंद्रमा की युति इस राशि के लिए मानसिक अशांति और पारिवारिक तनाव ला सकती है। कन्या राशि में मंगल क्रोध और जल्दबाजी बढ़ा सकता है। उपाय: हनुमान चालीसा का 11 बार पाठ करें या 'ॐ ह्रां हनुमते नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें।
कुंभ राशि
कुंभ राशि में चंद्र ग्रहण का इस राशि के जातकों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा। चंद्रमा और राहु की युति मानसिक व्याकुलता, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और अनिश्चितता ला सकती है। शनि का मीन राशि में और राहु का कुंभ राशि में होना इस राशि के लिए तनाव बढ़ा सकता है। शतभिषा नक्षत्र का प्रभाव अप्रत्याशित परिवर्तन ला सकता है। उपाय: विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें या 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का 108 बार जाप करें।
मीन राशि
शनि का मीन राशि में होना और कुंभ राशि में चंद्र ग्रहण इस राशि के लिए चुनौतियाँ ला सकता है। शनि और राहु का परस्पर प्रभाव कार्यक्षेत्र में बाधाएँ और मानसिक दबाव पैदा कर सकता है। धृति योग और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का प्रभाव निर्णय लेने में कठिनाई पैदा कर सकता है। उपाय: महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें: 'ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।' इसका 108 बार जाप करें।
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