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घर की दक्षिण दिशा में भूलकर भी न रखें ये चीजें, हो सकता है बड़ा नुकसान

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वास्तु शास्त्र में पूजा सामग्री को सही स्थान और दिशा में रखने का विधान है। पूजा की वस्तु को शुभता का प्रतीक माना जाता है और भगवान को अर्पित किया जाता है। इसलिए इसे सही तरीके से रखने की मान्यता है। कहा जाता है कि अगर व्यक्ति कोई भी वस्तु सही दिशा में रखता है तो उसका असर व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है और इन परिणामों का व्यक्ति पर शुभ और अशुभ प्रभाव पड़ता है। अगर आप पूजा की कोई भी वस्तु जैसे पूजा सामग्री और भगवान के वस्त्र आदि रखते हैं तो उसे सही स्थान पर रखना जरूरी माना जाता है। अब ऐसे में अगर आप पूजा-पाठ का सामान रख रहे हैं तो वास्तु के अनुसार उसे किस दिशा में रखना शुभ नहीं माना जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

वास्तु के अनुसार पूजा का सामान किस दिशा में नहीं रखना चाहिए?

वास्तु में दक्षिण दिशा को यमराज की दिशा माना जाता है। इस दिशा में पूजा का सामान रखने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है और घर में अशुभ प्रभाव आ सकते हैं। इसके अलावा अगर आप पूजा-पाठ का सामान दक्षिण-पश्चिम दिशा में रख रहे हैं तो यह दिशा भी शुभ नहीं मानी जाती है। इस कोण को स्थिरता और पूर्वजों से संबंधित माना जाता है। यहां पूजा का सामान रखने से घर के सदस्यों के स्वास्थ्य और समृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। घर के दक्षिण-पूर्व कोने यानी दक्षिण-पूर्व दिशा में पूजा का सामान रखना न भूलें। ये दिशाएं अशुभ मानी जाती हैं। बाथरूम के पास वाली जगह पर भी पूजा का सामान न रखें। इससे नकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सकता है।

सीढ़ियों के नीचे की जगह भी वास्तु में अच्छी नहीं मानी जाती है। यहां पूजा का सामान रखने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ सकता है और काम में कभी सफलता नहीं मिलती। पूजा के सामान का महत्व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजा की वस्तु को पवित्रता, शुभता और सकारात्मकता का कारक माना जाता है। इसलिए पूजा के सामान को कभी भी अशुद्ध स्थान पर नहीं रखना चाहिए। इससे पूजा की पवित्रता और शुद्धता नष्ट हो जाती है और व्यक्ति को पूजा का शुभ फल नहीं मिल पाता है। पूजा सामग्री को हमेशा सही दिशा में रखें। इससे शुभ फल मिलता है और देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त होती है।

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