राजस्थान के पुष्कर में सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट 'सावित्री माता रोपवे ऑफ पुष्कर' एक बार फिर सुर्खियों में है। दरअसल, वन विभाग की सख्ती ने इस राजकीय परियोजना को अवैध निर्माण और अतिक्रमण के घेरे में ला दिया है। लेकिन इस सारे विवाद के बीच सवाल यह उठता है कि क्या धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का तीर्थ स्थल पुष्कर अब राजनीति और नियमों में उलझा रहेगा?
वन विभाग ने परियोजना को सील कर दिया।
सनातन धर्म में चार धामों के बाद यदि कोई पांच धाम हैं तो उनमें पुष्कर प्रमुख है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने स्वयं इस भूमि पर यज्ञ किया था और उनका एकमात्र मंदिर यहीं स्थित है। भगवान ब्रह्मा की पत्नी सावित्री माता का मंदिर हजारों साल पुरानी पुष्कर झील के पास एक पहाड़ी पर स्थित है। इस पहाड़ी पर चढ़ना बहुत कठिन था, इसलिए श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रोपवे का निर्माण किया गया। लेकिन अब यह रोपवे विवादों में घिर गया है। वन विभाग ने इस परियोजना को अवैध निर्माण मानते हुए सील कर दिया है और इसे नियमों का उल्लंघन बताया है।
ड्रीम प्रोजेक्ट अदालत पहुंचा
इस ऑपरेशन का नेतृत्व वन रेंजर मानसिंह ने किया। विभाग का आरोप है कि रोपवे के टिकट काउंटर, शौचालय, कैफेटेरिया और अन्य संरचनाएं बिना अनुमति के बनाई गई हैं। यह वन संरक्षण अधिनियम 1980 का उल्लंघन है और मामला अब अदालत में पहुंच गया है। वहीं रोपवे कंपनी का दावा है कि सेवा अभी भी जारी है और हर दिन श्रद्धालु यहां आ रहे हैं। उन्होंने अदालत से अपील की है और कहा है कि आदेशों का पालन किया जाएगा।
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