चीन की धरती पर भारत और रूस की गहरी दोस्ती की खूब चर्चा हो रही है। SCO समिट में पीएम मोदी और पुतिन के बीच इस बॉन्डिंग में एक वैश्विक संदेश छिपा है। SCO के बाद दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई। मोदी और पुतिन की इस मुलाकात में ट्रंप के लिए सीधा संदेश है। साथ ही व्हाइट हाउस के लिए भी एक कड़ा संदेश है। भारत ने बता दिया है कि वह टैरिफ के दबाव के आगे नहीं झुकेगा, भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपनी विदेश नीति में दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं करेगा। अब आइए जानते हैं इस मुलाकात की इनसाइड स्टोरी के बारे में। SCO समिट का दूसरा दिन पीएम मोदी और पुतिन के नाम रहा। चीन की धरती पर दोनों के बीच यह बॉन्डिंग खास है। खासकर तब जब दुनिया टैरिफ और ट्रेड वॉर के माहौल में है। इस दौरान पीएम मोदी और पुतिन आमने-सामने बैठे। वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। SCO समिट के बाद सामने आई मोदी-पुतिन मुलाकात की तस्वीर बता रही थी कि भारत और रूस की दोस्ती बेहद मजबूत है। दोनों देश मुश्किल से मुश्किल हालात में भी कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे।
एक घंटे से ज़्यादा समय तक द्विपक्षीय वार्ता
प्रधानमंत्री मोदी और पुतिन के बीच एक घंटे से ज़्यादा समय तक द्विपक्षीय वार्ता हुई। इस दौरान आपसी सहयोग के साथ-साथ वैश्विक शांति पर भी चर्चा हुई। प्रधानमंत्री ने कहा कि संघर्ष को जल्द समाप्त करने और स्थायी शांति स्थापित करने का रास्ता निकालना होगा। प्रधानमंत्री ने पुतिन को भारत आने का न्योता दिया है। यह न्योता पिछले हफ़्ते फ़ोन पर दिया गया था। प्रधानमंत्री मोदी और पुतिन की दोस्ती की कहानी सिर्फ़ तस्वीरों में ही नहीं दिखी, बल्कि उनके बयानों में भी दोस्ती के संदेश थे। पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी के लिए प्रिय प्रधानमंत्री और प्रिय मित्र जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया। पुतिन ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी, प्रिय मित्र, 21 दिसंबर को 15 साल पूरे हो जाएँगे। जब हमने संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए थे। हमने तय किया था कि हम एक विशेष साझेदारी तक कैसे पहुँचें। 15 साल हो गए हैं। और हम ईमानदारी से कह सकते हैं कि हमारे संबंध इन्हीं सिद्धांतों पर आगे बढ़ते हैं।
पुतिन ने वार्ता में क्या कहा?
रूसी राष्ट्रपति ने आगे कहा कि हमारे बीच बहुआयामी सहयोग जारी है। यहाँ सकारात्मकता दिख रही है। पर्यटकों की आवाजाही बढ़ रही है। हम अपने प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पेश करते हैं। इन कदमों में यूएन, ब्रिक्स, एससीओ शामिल हैं। आज की हमारी मुलाक़ात हमारे संबंधों को आगे बढ़ाने और विचार-विमर्श करने का एक बेहतरीन मौक़ा है। हमारे बीच का ये रिश्ता किसी दबाव में नहीं है, बल्कि हमारे देश के लोग इस रिश्ते का समर्थन करते हैं। हम अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने प्रयासों को और मज़बूत बनाते हैं। इस द्विपक्षीय वार्ता की एक और अंदरूनी कहानी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन चीन के तियानजिन में एक ही कार में बैठे नज़र आए। ये पुतिन की प्रेसिडेंशियल कार ऑरस थी, जिसे वो SCO शिखर सम्मेलन के लिए लाए हैं। वो इसी कार में चीन की यात्रा कर रहे हैं। मोदी-पुतिन की ये तस्वीर वायरल है। इस कार में बैठने से पहले क्या हुआ था? दोनों किस बारे में बात कर रहे थे? इन सवालों के जवाब देती हमारी रिपोर्ट देखिए।
बम और रॉकेट भी कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकते
ऑरस एक ऐसी कार है जिस पर न तो बम और न ही गोले कोई असर करते हैं। न तो रॉकेट और न ही मिसाइल कोई नुकसान पहुँचा सकते हैं। पुतिन की बख्तरबंद ऑरस कार में बैठे पीएम मोदी की तस्वीर ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। दुनिया भर की समाचार एजेंसियों ने इस तस्वीर को अपने कैमरों में रिकॉर्ड किया। दो शक्तिशाली नेता एक ही कार में साथ-साथ यात्रा करते नज़र आए। व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को द्विपक्षीय वार्ता के लिए एससीओ सम्मेलन स्थल से होटल तक जाना था। पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ यात्रा करने की इच्छा जताई। उन्होंने 10 मिनट तक इंतज़ार भी किया ताकि प्रधानमंत्री उनके साथ आ सकें। इसके बाद, दोनों नेताओं की कार में साथ यात्रा करते हुए तस्वीरें सभी ने देखीं। प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति पुतिन के साथ उनकी कार ऑरस में रवाना हुए। हालाँकि चीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक लग्जरी कार उपलब्ध कराई थी, जिसकी कहानी हम आपको बाद में बताएँगे, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और उनकी ऑरस कार में बैठ गए। एससीओ स्थल से होटल तक के सफर के दौरान, दोनों लगभग 45 मिनट तक कार में अकेले कई मुद्दों पर चर्चा करते रहे। होटल पहुँचने के बाद भी, कार में काफी देर तक चर्चा जारी रही।
पुतिन की ऑरस कार कई मायनों में अलग है
पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी के बीच यह बातचीत जितनी खास थी, पुतिन की कार भी उतनी ही खास है। जिस ऑरस कार में प्रधानमंत्री मोदी ने यात्रा की, वह कई मायनों में अलग है और किसी चलते-फिरते किले से कम नहीं है। बेहद सुरक्षित, पुतिन का ऑरस बुलेटप्रूफ होने के साथ-साथ बम-ग्रेनेड प्रूफ भी है। यानी गोलियां और विस्फोट भी इसे नुकसान नहीं पहुँचा सकते।
यह रासायनिक हमलों से भी सुरक्षा प्रदान करती है।
यह कार पानी में डूबने की स्थिति का भी सामना कर सकती है।
यह कार मात्र 6 सेकंड में 0 से 249 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ लेती है।
इस कार की इंजन क्षमता 598 हॉर्सपावर है।
इस बख्तरबंद वाहन को खास तौर पर पुतिन की सुरक्षा को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है। फरवरी 2024 में पुतिन ने यह कार उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन को भी तोहफे में दी थी। वह जब भी विदेश जाते हैं, अपनी ऑरस कार अपने साथ ले जाते हैं।
इसमें स्मोक स्क्रीन, आपातकालीन निकास और संचार प्रणाली जैसी आधुनिक सुविधाएँ हैं।
यह 5.63 मीटर लंबी है और इसका वजन लगभग 2700 किलोग्राम है।
इसकी कीमत साढ़े तीन लाख डॉलर यानी भारतीय रुपये में लगभग 3 करोड़ रुपये है।
रूसी कंपनी ऑरस मोटर्स इस कार का निर्माण करती है।
इसमें AU का मतलब सोना और RUS का मतलब रूस है।
कार के इंटीरियर में सभी तरह की लग्जरी सुविधाएँ हैं, जिसे देखते हुए इसे रूसी रोल्स रॉयस भी कहा जाता है। पीएम मोदी ने खुद कार में बैठे हुए यह तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की और लिखा, 'एससीओ शिखर सम्मेलन के बाद, राष्ट्रपति पुतिन और मैं द्विपक्षीय बैठक स्थल तक साथ-साथ गए।'
भू-राजनीति में तस्वीरों के ज़रिए कही गई बातें ज़्यादा वज़न रखती हैं। दुनिया के सामने आई यह तस्वीर अपने आप में एक संदेश है। संदेश भारत और रूस की मज़बूत दोस्ती का है, संदेश दूर बैठे टैरिफ़ किंग के लिए है जो इस दोस्ती में दरार डालने का ख़्वाब देख रहा है।
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