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महाभारत कालीन भयानकनाथ मंदिर में सावन में उमड़ते हैं श्रद्धालु

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पांडवों ने की थी पूजा; अब भी अधूरा पक्का मार्ग

औरैया, 28 जुलाई (Udaipur Kiran) । औरैया जिले के बिधूना तहसील क्षेत्र स्थित गांव कुदरकोट (प्राचीन नाम कुंडिनपुर) में स्थित भगवान भयानकनाथ मंदिर धार्मिक आस्था, पौराणिक इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर का एक अद्वितीय संगम है।

मान्यता है कि यहां महाभारत काल में महाराज भीष्मक ने पुरहा नदी तट पर स्वयं शिवलिंग की स्थापना कराई थी, जिसकी पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान पूजा-अर्चना भी की थी।

यह मंदिर अब सावन मास में हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन चुका है, जहाँ हर साल दूर-दराज से भक्त शिवभक्ति में डूबने आते हैं।

भगवान श्रीकृष्ण की ससुराल और राजा भीष्मक की राजधानी

इतिहास और मान्यताओं के अनुसार, यह स्थान भगवान श्रीकृष्ण की ससुराल भी माना जाता है।

यह क्षेत्र कभी राजा भीष्मक की राजधानी कुंडिनपुर था, जिनकी पुत्री रुक्मिणी का स्वयंवर यहीं हुआ था।

कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने यहीं से रुक्मिणी का हरण किया था। इस वजह से यह स्थान धार्मिक, पौराणिक और पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बन गया है।

सावन में पूरी होती हैं मनोकामनाएं

मंदिर के पुजारी राम कुमार चौरसिया बताते हैं कि यह शिवलिंग ‘सिद्ध शिवलिंग’ है। श्रद्धालु सावन के महीने में दूध, दही, घी, बिल्व पत्र, गंगाजल आदि चढ़ाकर भगवान शिव की आराधना करते हैं और मनचाही मुरादें मांगते हैं।

पंडित देवेश शास्त्री के अनुसार, सावन में शिवलिंग का जलाभिषेक विशेष फलदायक होता है क्योंकि समुद्र मंथन में विषपान के बाद शिव को जल से शांति मिली थी।

पांच दशक पहले हुआ था मंदिर का सुंदरीकरण

पुजारी रामकुमार बताते हैं कि यह मंदिर एक समय जर्जर स्थिति में था, जिसे उनके पिता सुभाष चंद्र चौरसिया ने गांववासियों की मदद से पुनर्निर्मित कराया था। अब सावन में हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

तीन साधुओं की हुई थी निर्मम हत्या, पांच वर्ष तक रही पीएसी तैनात

14 अगस्त 2018 की रात, मंदिर की सेवा में लगे तीन साधु लज्जाराम, हल्केराम और रामशरण की गौकशी का विरोध करने पर धारदार हथियार से निर्मम हत्या कर दी गई थी।

इस घटना की गूंज लखनऊ तक पहुंची, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तत्काल संज्ञान लेते हुए 72 घंटे में घटना का खुलासा कराया और दोषियों को जेल भिजवाया था। इसके बाद मंदिर पर पांच साल तक पीएसी का पहरा लगा रहा।

अब तक अधूरा है पक्का रास्ता

इतिहास और मान्यता से भरपूर इस मंदिर तक बिधूना-भरथना मार्ग से पहुंचने वाला रास्ता आज भी कच्चा है।

घटना के बाद आए अफसरों और जनप्रतिनिधियों ने पक्का मार्ग बनवाने की घोषणा तो की, लेकिन आज तक यह वादा अधूरा है।

सिर्फ मंदिर के पास 70 मीटर आरसीसी मार्ग बनाया गया है, बाकी रास्ता ऊबड़-खाबड़ और बरसात में कीचड़ से भरा रहता है।

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हिंदुस्थान समाचार कुमार

(Udaipur Kiran) कुमार

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