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संतान की दीर्घायु के लिए माताएं करेंगी निर्जला उपवास,जितिया व्रत 14 को

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रांची, 11 सितंबर (Udaipur Kiran) । आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी 14 सितंबर को जितिया व्रत मनाया जाएगा।

आचार्य मनोज पांडेय ने गुरुवार को बताया कि ऋषिकेश पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि 14 सितंबर को सुबह 08.41 बजे से आरंभ होगी, जो 15 सितंबर को सुबह 06.27 तक रहेगी। इसलिए पारण सुबह 6.27 बजे के बाद होगा। 13 सितंबर नहाय-खाय से शुरू होकर 15 सितंबर पारण कर व्रत का समापन होगा। उन्होंने बताया कि जीवित्पुत्रिका व्रत में अष्टमी मध्याह व्यापिनी होनी चाहिए, जो 14 सितंबर को है। आचार्य ने बताया कि जितिया व्रत एक प्रदोष कालिक चंद्र व्यापनी व्रत है, जिसके चलते इसे सूर्योदय काल से अधिक प्रदोष काल को ध्यान में रखकर निर्णय लिया जाता है। अगर प्रदोष काल में सप्तमी युक्त अष्टमी होती तो इसे करना सही नहीं होता है। हर त्योहार पर्व सूर्योदय से नहीं लिया जाता है, क्योंकि कुछ व्रत चंद्र व्यापनी होते हैं, जिसमे चंद्रमा की गति देखी जाती है। इनमें से कुछ व्रत जैसे पूर्णिमा अमावस्या, गणेश चौथ, करवा चौथ सहित अन्य शामिल हैं। इसी प्रकार यह व्रत भी प्रदोष कालिक है जिसका अर्थ है की जब प्रदोष काल में अष्टमी हो तब किया जाना चाहिए। इस बार पूरे दिन अष्टमी रहने के कारण और प्रदोष काल में पूर्णतः शुद्ध रूपेण अष्टमी होने के कारण इसे पहले दिन ही किया जाना चाहिए। व्रत तीन दिनों का होता है। सप्तमी को होकर रात्रि में भोजन किया जाता है और अष्टमी के दिन उपवास कर नवमी को पारण किया जाता है। व्रत के दिन चील और सियार की कथा सुनने का विधान है।

आचार्य ने बताया कि यह एक कठोर व्रत है, यह व्रत एक दिन का पूरा निर्जला रहकर किया जाता है। इसके एक दिन पहले सप्तमी तिथि को प्रातः काल शुद्ध होकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर पूरी शुद्धता के साथ भोजन बनाकर ग्रहण किया जाता है। फिर अष्टमी तिथि को निर्जला उपवास कर संध्या में पूजन किया जाता है। इसके अगले दिन नवमी तिथि को पारण किया जाता है। इस व्रत को महिलाएं अपनी संतान की उज्ज्वल भविष्य, लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए करती है। इसी के साथ संतान के जीवन में आ रही सभी बाधाएं भी दूर होती हैं। हर मां की कामना होती है कि उसका पुत्र राजा के समान हो और दीर्घायु हो इसलिए वह अपने संतान के लिए उत्तम व्रत जीवित्पुत्रिका का निर्जला व्रत करती हैं जिसका नाम जितिया या जीतवाहन कहा जाता है।

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(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे

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