– होनहार विद्यार्थियों को नवाचारों के लिए मंच देने की अभिनव पहल है सृजन: तकनीकी शिक्षा मंत्री
भोपाल, 11 मई . विद्यार्थियों के रचनात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना सृजन का उद्देश्य है. सृजन के माध्यम से प्रतिभावान विद्यार्थियों को नवाचारों के लिए मंच मिला है. इससे विद्यार्थी, सामाजिक समस्याओं और चुनौतियों के प्रति संवेदनशील होंगे. समाज के प्रश्नों के समाधान करने का सामर्थ्य प्रदेश के विद्यार्थियों में हैं. हमारे विद्यार्थी समाधानकारक नवाचारों के लिए आगे आ रहे हैं. भविष्य में प्रदेश के यही विद्यार्थी, स्टार्टअप के केंद्र बनेंगे. प्रदेश सरकार की ओर से नवाचारों को लेकर विद्यार्थियों को मंच देने की यह अभिनव पहल है.
यह बात उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री इन्दर सिंह परमार ने भोपाल स्थित राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) में रविवार को इनोवेट एमपी मिशन की दृष्टि से सृजित सृजन कार्यक्रम के समापन समारोह में कही. उन्होंने कहा कि हर वर्ष सृजन कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा, जिससे विद्यार्थियों को अपनी नवाचारी प्रतिभा के प्रदर्शन के लिए मंच मिल सके. उन्होंने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज का दिन गर्व का दिन है, आज ही के दिन हमारा देश परमाणु शक्ति संपन्न शक्तिशाली देश के रूप में स्थापित हुआ था.
तकनीकी शिक्षा मंत्री परमार ने कहा कि भारत की परम्परा में दस्तावेजीकरण (पेटेंट) नहीं था, लेकिन वर्तमान वैश्विक परिधियों में दस्तावेजीकरण की आवश्यकता है. इसके लिए हमें भारतीय समाज में हर विद्या-हर क्षेत्र में विद्यमान ज्ञान को युगानुकुल परिप्रेक्ष्य में पुनः शोध एवं अनुसंधान कर, दस्तावेजीकरण से समृद्ध करना होगा. भारत के नवाचारों को विश्वमंच पर, दस्तावेजीकरण के साथ रखना होगा.
उन्होंने कहा कि आज के युवा विद्यार्थियों के पुरुषार्थ और परिश्रम से, स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष 2047 तक विकसित भारत की संकल्पना साकार होगी. ज्ञानमेव शक्ति के आधार पर, भारत पुनः विश्वमंच पर सिरमौर बनेगा. आज के युवा विद्यार्थी ही, वर्ष 2047 का विकसित भारत गढ़ेंगे. पूर्वजों के ज्ञान के आधार पर ही भारत वर्ष 2047 तक, विश्व में अन्य देशों की ऊर्जा की आपूर्ति करने में सामर्थ्यवान देश बनेगा. साथ ही खाद्यान्न के क्षेत्र में भी विश्व का भरण पोषण करने वाला देश भी बनेगा.
मंत्री परमार ने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से विद्यार्थियों के नवाचारी शोधों के लिए आवश्यक मार्गदर्शन, तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग के साथ साथ, उनके नवाचारों के दस्तावेजीकरण के लिए यह अभिनव पहल की गई है. उन्होंने सृजन में नवाचार के लिए पुरुस्कृत होने वाले सभी शोधार्थी विद्यार्थियों को शुभकामनाएं एवं बधाई भी दीं. उन्होंने कहा कि ऐसे विद्यार्थी जो सृजन के इस संस्करण में पुरुस्कृत नहीं हो सकें हैं, उनके नवाचारी प्रोजेक्ट्स को दस्तावेजीकरण तक की यात्रा में राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय सहयोग करेगा. उन्होंने सृजन के आयोजकों, संस्थाओं, प्रतिभागी एवं पुरस्कृत विद्यार्थियों और उनके मेंटर्स को शुभकामनाएं भी दीं.
मंत्री परमार ने समापन समारोह के पूर्व, सृजन अंतर्गत शोधार्थी विद्यार्थियों के चयनित नवाचारी प्रोजेक्ट्स पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन कर उनके प्रोजेक्ट्स की जानकारी भी प्राप्त की. इस प्रदर्शनी में 1600 से अधिक प्राप्त प्रविष्टियों में से चयनित 150 नवाचारी प्रोजेक्ट्स को प्रदर्शन के लिए स्थान दिया गया था.
ये प्रोजेक्ट्स किये गए डिस्प्ले और इन श्रेणियों में हुआ पुरस्कार वितरण
नवाचार, अनुसंधान और उद्यमिता को जोड़ने वाला दो दिवसीय सृजन कार्यक्रम प्रदेश के युवा वैज्ञानिकों के लिए एक अहम मंच के रूप में सिद्ध हुआ, जब रूरल टेक्नोलॉजी, क्लीन एंड ग्रीन एनर्जी, इंडस्ट्री 4.0/ 5.0, वेस्ट मैनेजमेंट, लाइफ साइंस / स्वास्थ विज्ञान एवं स्मार्ट एजुकेशन के विषय पर प्रदेश के युवा वैज्ञानिकों एवं मेंटर के माध्यम से 1627 प्रविष्टियों में से 150 चयनित प्रविष्टियों के माध्यम से उच्च शिक्षा की 10 एवं तकनीकी शिक्षा संस्थानों के 26 इस प्रकार कुल 36 प्रविष्टियों ने विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार प्राप्त कर राजीव गाँधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय परिसर में नवाचार के अभिनव महोत्सव को विकसित भारत 2047 की संकल्पना को साकार रूप देने के लिए एक धरातल तैयार कर दिया.
विश्वविद्यालय परिसर में 150 चयनित प्रोजेक्ट्स की आयोजित प्रदर्शनी का हज़ारों की संख्या में प्राध्यापकों, विद्यार्थियों एवं उद्यमियों ने अवलोकन किया. दो दिवसीय सृजन के समापन सत्र में मंच से अंतिम चरण में चयनित 36 प्रतिभागियों को पुरस्कार प्रदान किये गए. समापन सत्र में छह श्रेणियों में प्रथम पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रोजेक्ट को 20 हज़ार रुपये, द्वितीय स्थान को 10 हज़ार,एवं तृतीय स्थान को 5 हज़ार रुपये की पुरस्कार राशि प्रदान की गई, इस प्रकार कुल 36 पुरस्कार प्रदान किये गए, इसमें 26 तकनीकी शिक्षा संस्थानों से एवं 10 उच्च शिक्षा संस्थानों के रूप में शामिल हैं.
रूरल टेक्नोलॉजी में छह पुरस्कार दिए गए हैं, इनमें पंडित शम्भूनाथ शुक्ल यूनिवर्सिटी शहडोल, शासकीय ऑटोनोमस होलकर साइंस कॉलेज इंदौर, शासकीय जेएसटीपीजी कॉलेज बालाघाट, सागर इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी गांधीनगर, डॉ. भीमराव आंबेडकर पॉलिटेक्निक कॉलेज ग्वालियर एवं यूआईटी आरजीपीवी शिवपुरी शामिल हैं. क्लीन एवं ग्रीन एनर्जी में वीआईटीएम ग्वालियर, श्री वैष्णव पॉलिटेक्निक कॉलेज इंदौर, शासकीय महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज जबलपुर, एक्रोपोलिस इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च इंदौर एवं एनआआई इंस्टिट्यूट ऑफ़ फार्मास्यूटिकल साइंस को पुरस्कार दिए गए.
इंडस्ट्री 4.0/5.0 में एमआईटीएस ग्वालियर, यूआईटी आरजीपीवी भोपाल, शासकीय महिला पॉलिटेक्निक भोपाल, जवाहरलाल नेहरु स्मृति शासकीय पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज शुजालपुर, ज्ञान गंगा कॉलेज ऑफ़ टेक्नोलॉजी जबलपुर को पुरस्कार मिले. वेस्ट मैनेजमेंट में शासकीय पीएम कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस सागर, शासकीय डॉ. श्यामा प्रसाद मुख़र्जी साइंस एंड कॉमर्स कॉलेज, प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस श्री नीलकंठेश्वर शासकीय कॉलेज खंडवा, शासकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज राजगढ़, आईपीएस अकादमी इंदौर, बंसल इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी भोपाल को पुरुस्कार दिए गए.
हेल्थ साइंस में प्रधानमंत्री एक्सीलेंस कॉलेज बालाघाट, पंडित शम्भुनाथ शुक्ला यूनिवर्सिटी शहडोल, एलएनसीटी भोपाल, आईआईएसटी इंदौर, यूआईटी आरजीपीवी भोपाल, प्रेस्टीज इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट को पुरस्कृत किया गया. स्मार्ट एजुकेशन में ज्ञान गंगा इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड साइंस जबलपुर, यूआईटी आरजीपीवी भोपाल, वीएनएस ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूट भोपाल, मालवा इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एवं एमिटी स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी को पुरुस्कार दिए गए. साथ ही प्रत्येक प्रतिभागी को प्रतिभागिता का प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया.
प्रदर्शित किये गए प्रोजेक्ट्स में एग्रो एआई पर आधारित स्मार्ट सिंचाई प्रणाली जो खेतों की नमी का विश्लेषण कर जल की बचत करती है, बोरेवेल में फंसे बच्चों को बचाने के लिए डिजाईन किया गया स्वदेशी रोबोट, रीढ़ की विकृति एआई आधारित पहचान प्रणाली ले लिए कर्वस्काउट, इलेक्ट्रिक वाहनों को चलते वक्त चार्ज करने की तकनीक के रूप में वायरलेस ईवी चार्जिंग सिस्टम एवं फेस रिकग्निशन और संवाद क्षमता से युक्त प्रोजेक्ट जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट शामिल रहे. भविष्य में विश्वविद्यालय द्वारा इन प्रोजेक्ट्स को पेटेंट करवाने, प्रोटोटाइप विकसित करने एवं मेंटरशिप उपलब्ध कराने एवं स्टार्टअप मॉडल में रूपांतरित करने के लिए कार्य किया जाएगा.
समापन समारोह में विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. राजीव त्रिपाठी, आईआईआईटी भोपाल के निदेशक डॉ. आशुतोष सिंह, विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. मोहन सेन एवं यूआईटी आरजीपीवी के निदेशक डॉ. सुधीर सिंह भदौरिया सहित प्रदेश भर के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के प्रतिभागी शोधार्थी विद्यार्थी, उनके मेंटर्स, निर्णायक मंडल के सदस्यगण, विभिन्न संस्थानों के विद्यार्थियों सहित अन्य विद्वतजन उपस्थित थे.
तोमर
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