—पुण्यश्लोक रानी अहिल्या बाई होल्कर जन्म त्रिशताब्दी स्मृति अभियान में भाजपा आयोजित करेगी विभिन्न कार्यक्रम
वाराणसी,18 मई . पुण्यश्लोक महारानी अहिल्याबाई होल्कर की 300 वीं जयंती वर्ष में भाजपा 21 से 31 मई के बीच विविध कार्यक्रम आयोजित करेंगी. देशव्यापी कार्यक्रम में पार्टी महिला सशक्तिकरण के लिए इंटर व महाविद्यालय स्तर पर छात्राओं की दौड़, भाषण, वाद विवाद, निबंध, रंगोली,पेटिंग प्रतियोगिताओं का आयोजन बड़े पैमाने पर करेंगी. रविवार को यह जानकारी पार्टी के जिला व महानगर प्रभारी एवं एमएलसी अरुण पाठक व महानगर अध्यक्ष प्रदीप अग्रहरि ने संयुक्त रूप से पत्रकारों को दी.
बताया कि अहिल्याबाई होल्कर का जीवन दर्शन एवं भारतीय संस्कृति में उनके योगदान को लेकर जिला स्तर पर संगोष्ठी आयोजित की जाएंगी. महारानी के हाथों जीर्णोद्धार किए गये घाट या मंदिर पर आरती का आयोजन किया जाएगा, आरती के पश्चात अहिल्या बाई के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की जाएगी. इसके अलावा महारानी के जीवन दर्शन एवं भारतीय संस्कृति के प्रति उनके योगदान पर आधारित प्रदर्शनी जिला कार्यालय पर लगाई जाएगी. प्रत्येक जिले में विधानसभा सम्मेलन, पंचायत प्रतिनिधी जिला सम्मेलन, नगर निगम, नगर पालिका,नगर पंचायत, ब्लाक स्तर पर महिला सशक्तिकरण सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे.
एनजीओ के माध्यम से जिले के किसी विश्वविद्यालय,महाविद्यालय, इंजिनियरिंग कालेज में महारानी का जन्म त्रिशताब्दी श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया जाएगा. नेताओं ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में इनकी प्रतिमा स्थापित करते हुए कहा था कि महारानी ने काशी विश्वनाथ से लेकर सोमनाथ तक अनेक मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया था. प्राचीनता और आधुनिकता का संगम जो उनके जीवन में था आज उसे आदर्श मानकर देश आगे बढ़ रहा है.
भाजपा नेताओं ने पुण्यश्लोक रानी अहिल्याबाई होल्कर को धर्म, न्याय और राष्ट्रधर्म का सजीव स्वरूप बताते हुए कहा कि वे भारतीय सनातन संस्कृति की पुनर्स्थापना की अग्रदूत थीं. उन्होंने विदेशी आक्रांताओं के कालखंड में जिस साहस, भक्ति और समर्पण से काशी से लेकर रामेश्वरम् तक तीर्थस्थलों का पुनरुद्धार कराया, वह भारतीय इतिहास का अद्वितीय अध्याय है. नेताओं ने कहा कि अहिल्याबाई ने “धर्मों रक्षति रक्षितः” के वैदिक उद्घोष को न केवल जिया, बल्कि उसे मूर्त रूप भी दिया. जब देश विदेशी आक्रांताओं से त्रस्त था, मंदिर विध्वंस किए जा रहे थे, तब अहिल्याबाई ने बिना भय के, बिना किसी राजनीतिक समर्थन के, उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक सनातन धर्म की पुनर्स्थापना का विराट कार्य अपने हाथों में लिया था, आज हमें उनके जीवन से सद्प्रेरणा लेकर देश और सनातन संस्कृति के गौरव की पुनर्स्थापना के लिए पूरे मनोयोग से समर्पित हो जाना चाहिए. वार्ता में क्षेत्रीय मीडिया प्रभारी नवरतन राठी, सह मीडिया प्रभारी संतोष सोलापुरकर एवं किशोर सेठ भी मौजूद रहे.
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/ श्रीधर त्रिपाठी
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