धमतरी, 28 जून (Udaipur Kiran) ।छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी महानदी इन दिनों सजने संवरने लगी है। जिले के सिहावा में मां अभियान के तहत छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी महानदी को जिला प्रशासन द्वारा संवारने का काम शुरू हो गया है। कलेक्टर अबिनाश मिश्रा के नेतृत्व और लंबी कार्ययोजना के तहत सिहावा में महानदी के उद्द्गम स्थलों पर जिला प्रशासन द्वारा अनेकों काम करवाये जा रहे है। लेकिन इन दिनों श्रृंगीऋषि पर्वत स्थित गणेश घाट में चट्टानों पर बनाई गई सुंदर धार्मिक व प्राकृतिक चित्रकारी पर्यटकों को अपनी ओर खींच रहा है, अब यह सेल्फी प्वाइंट बन गया है।
छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी महानदी अब एक नए रूप में सजने-संवरने जा रही है। वनांचल सिहावा में स्थित महानदी के उद्गम स्थल श्री गणेश घाट में मां महानदी जागरूकता अभियान के तहत सौंदर्यीकरण और जीर्णोद्धार का काम शुरू हो चुका है। सिहावा-नगरी महानदी के उद्गम स्थल को सजाने-संवारने का कार्य जिला प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। इसके तहत चट्टानों पर आकर्षक चित्रकारी करवाई जा रही है। गणेश घाट स्थित मंदिर के पास पहाड़ियों की चट्टानों पर धार्मिक और प्राकृतिक जीवन को दर्शाते हुए रंग-बिरंगे आकर्षक चित्र उकेरे जा रहे हैं। इनमें श्रृंगीऋषि और सप्त ऋषियों की छवियां, वन्यजीव जैसे-भालू, बाघ, तेंदुआ, हाथी, नीलगाय, बंदर और वन भैंसा, वृक्ष, फूल-पत्तियां और विदेशी पक्षियों की तस्वीरें, भगवान भोलेनाथ और नंदी की चित्रकारी की जा रही है। यह पेंटिंग्स महानदी उद्गम स्थल सिहावा-नगरी के धार्मिक महत्व को तो उजागर करती ही है, इसके साथ ही यहां की स्थानीय जैव विविधता को भी दर्शाती हैं। इन सुंदर चित्रों की वजह से आज यह क्षेत्र पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए एक नया आकर्षण केंद्र बन गया है। लोग यहां सेल्फी लेने, तस्वीरें खींचने और दर्शन करने बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। जिला प्रशासन ने इन आकर्षक पेंटिंग्स को बनाने के लिए बिलासपुर के प्रसिद्ध आर्ट कलाकर लक्ष्मण की सेवाएं ली हैं। इन्हीं कलाकारों ने जगदलपुर रोड में केशकाल घाटी में भी आकर्षक तस्वीरे बनाई है। यही कलाकार इस बार सिहावा के पहाड़ों-चट्टानों में लगभग 20 हजार फीट पेंटिंग बनाकर उन्हें नया रूप दे रहे हैं।
चट्टानों पर आकर्षक पेंटिंग से पर्यटन को मिल रहा बढ़ावा:
कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने बताया कि जिला प्रशासन महानदी उद्गम स्थल के जीर्णोद्धार और सुंदरीकरण के लिए मां अभियान चला रहा है। महानदी के उद्गम स्थल नगरी-सिहावा और उसके बाद के लगभग 30 किलोमीटर एरिया में नदी की सफाई, नदी तटों की सफाई, पौधारोपण से लेकर सुंदरीकरण के कई काम कराए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि यहां वृहद पैमाने पर रिवर वाटर कंजर्वेशन के काम भी चल रहे हैं। कलेक्टर ने कहा कि नदी और आसपास की चट्टानों तथा श्रृंगीऋषि पर्वत की चट्टानों पर आकर्षक पेंटिंग इन्हीं कामों का हिस्सा है, जिससे इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है।
महानदी उदगम स्थल को विकसित करने का हो रहा प्रयास:
कलेक्टर ने यह भी बताया कि महानदी उद्गम स्थल कारीडोर के तहत कर्णेश्वर धाम में हजारों वर्ष पुराना मंदिर, गणेश घाट भी हैं, जिनकी अलग ही धार्मिक मान्यता है। जिला प्रशासन इसे मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक की तर्ज पर विकसित करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने बताया कि सिहावा-नगरी से कई पौराणिक किवदंतियां-गाथाएं भी जुड़ी हैं। इन पेंटिंग्स के माध्यम से यहां आने वाले पर्यटकों को उन सभी किवंदितियों और गाथाओं की जानकारी देने का भी प्रयास किया जा रहा है। कलेक्टर ने बताया कि अभी तक महानदी कंजर्वेशन को लेकर 30 किलोमीटर तक काम हो चुका है। जहां नदी संकरी थी, उसे ठीक किया गया है। नगरी क्षेत्र में नारियल का पौधे लगाए जाएंगे, क्योंकि यहां की जलवायु नारियल के लिए काफी अच्छी है। कलेक्टर ने कहा कि शासन का प्रयास है कि महानदी उद्गम स्थल को सुंदरीकरण और जीर्णोद्धार से इसे आकर्षक टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाए, ताकि ज्यादा से ज्यादा पर्यटक यहां पहुंचे और स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर मिले।
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा
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