New Delhi, 1 नवंबर (Udaipur Kiran) . कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने Saturday को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि पंडित जवाहरलाल नेहरू कश्मीर का भारत में विलय नहीं चाहते थे. खरगे ने इस बयान को निंदनीय बताते हुए कहा कि ऐतिहासिक तथ्यों से स्पष्ट है कि कश्मीर का भारत में विलय नेहरू के नेतृत्व में ही हुआ था.
खरगे ने अपने एक्स पोस्ट में कहा कि विलय की प्रक्रिया के दौरान पंडित नेहरू कश्मीर के नेता शेख अब्दुल्ला के संपर्क में थे, जबकि सरदार पटेल महाराजा हरि सिंह से बात कर रहे थे. दोनों नेता जम्मू-कश्मीर को भारत में शामिल करने के पक्ष में थे.
उन्होंने सरदार पटेल के निजी सचिव वी. शंकर की पुस्तक सरदार पटेल चुना हुआ पत्र-व्यवहार का हवाला देते हुए कहा कि नेहरू और पटेल कश्मीर के भारत में विलय को लेकर समान रूप से सक्रिय थे. खरगे के अनुसार, 27 सितंबर 1947 को नेहरू ने पटेल को पाकिस्तान की साजिश की जानकारी दी थी, जिसके बाद दोनों ने महाराजा हरि सिंह से विलय का आग्रह किया, लेकिन देरी के कारण पाकिस्तान समर्थित कबायली हमला हो गया.
खरगे ने कहा कि धारा 370 सरदार पटेल की पहल थी, जिसके माध्यम से नेहरू और पटेल ने जम्मू-कश्मीर और भारत के बीच संवैधानिक पुल बनाया. उन्होंने यह भी कहा कि नेहरू ने अंतरराष्ट्रीय दबावों को नकारते हुए कश्मीर का भारत में विलय कराया था.
खरगे ने कहा कि वे नेहरू-पटेल के पत्राचार और संविधान सभा की चर्चाएं पढ़ें, जिससे सच्चाई सामने आ जाएगी. उन्होंने आरोप लगाया कि उस समय हिंदू महासभा और आरएसएस स्वतंत्र कश्मीर के पक्ष में थे और 15 अगस्त 1947 को Indian तिरंगे की जगह महाराजा का झंडा फहराया गया था.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को Gujarat में सरदार पटेल की जयंती पर कहा था कि पटेल पूरे कश्मीर को भारत में मिलाना चाहते थे, लेकिन नेहरू ने ऐसा नहीं होने दिया.
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(Udaipur Kiran) / प्रशांत शेखर
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