रांची 30 मई . 16वें वित्त आयोग के साथ शुक्रवार को राजधानी रांची के रेडिशन ब्लू में हुई बैठक में झारखंड की मुख्य सचिव अलका तिवारी ने कहा कि प्रधानमंत्री की ओर से वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र के संकल्प के अवधारणा को पूर्ण करने के लिए सभी राज्यों को विकसित करना होगा.
मुख्य सचिव ने कहा कि प्राकृतिक संसाधन से पूर्ण रहने के बावजूद झारखंड एक अल्प आय वाला राज्य है. उनके द्वारा कहा गया कि झारखंड बहुतायत के विरोधाभास और प्राकृतिक संसाधनों के अभिशाप का एक उत्कृष्ट उदाहरण है.
झारखंड के कुल क्षेत्रफल का 30 प्रतिशत भू-भाग वनों से आच्छादित है. राज्य की अधिकांश बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं को वन / पर्यावरण स्वीकृति की सख्त प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जिससे परियोजना में देरी होती है. परियोजना की लागत बढ़ जाती है.
मुख्य सचिव ने कहा कि झारखंड खनिजों से समृद्ध है और देश के कुल खनिज का लगभग 40 प्रतिशत खनिज यहां पाया जाता है, लेकिन राज्य को उसके अनुरूप लाभ नहीं मिल पाता है. कोयला कंपनियों पर राज्य का भूमि मुआवजा, रॉयल्टी सहित अन्य मद में बहुत बडी देनदारियां बकाया है. भूमि क्षरण, वायु, जल, प्रदूषण, कृषि उत्पादकता, स्वास्थ्य जैसी समस्याओं के अतिरिक्त स्थानीय लोगों को विस्थापन की कीमत भी चुकानी पड़ रही है.
उन्होंने कहा कि झारखंड परंपरागत रूप से देश का विनिर्माण केन्द्र रहा है. देश का प्रथम इस्पात संयंत्र झारखंड के जमशेदपुर में स्थापित किया गया था. आयोग का ध्यान इस ओर आकर्षित कराया गया कि जीएसटी उपभोक्ता राज्यों के लिए फायदेमंद है. उत्पादक राज्य के रूप में झारखंड को वर्ष 2025-26 से 2029-30 तक कुल 61,677 करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है.
राज्य में 39 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जनजाति / अनुसूचित जाति / आदिम जनजाति की है. इतनी बड़ी आबादी महत्वपूर्ण सामाजिक सूचकांकों विशेषकर स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के मामले में काफी पीछे हैं. राज्य सरकार समतामूलक विकास के लिए कई स्तरों पर कार्य रही है. महिला सशक्तिकरण और उपभोक्ता आधारित विकास को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मंईयां सम्मान योजना एवं अन्य योजनाएं प्रारंभ की गई हैं, जिसके कारण राज्य के कोष से भारी अतिरिक्त राशि व्यय करना पड़ रहा है.
मुख्य सचिव की ओर से आयोग को अवगत कराया गया कि झारखंड का गठन वर्ष 2000 में वित्तीय प्रतिबद्धताओं और दायित्वों के साथ हुआ था. झारखंड को विशेष श्रेणी के राज्य या राज्य के लिए विशेष पैकेज की मांग को भारत सरकार द्वारा विचार नहीं किया गया,जो अक्सर नव सृजित राज्यों को मिलता था. राज्य वामपंथी उग्रवाद से भी जूझ रहा है, जो राज्य के विकास पर घातक प्रभाव डालता है.
राज्य सरकार द्वारा राजस्व की प्राप्ति को बढ़ाने के लिए ठोस सार्थक प्रयास किया जा रहा है. वित्तीय वर्ष 2019-20 से 2025-26 के दौरान टैक्स रिवेन्यू,/ नोंन टैक्स रिवेन्यू में 16.5 प्रतिशत की वृद्धि की ओर आयोग का ध्यान आकृष्ट कराया गया. राज्य सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए मुख्य सचिव की ओर से अवगत कराया गया कि नीति आयोग की राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक 2025 के प्रतिवेदन में झारखंड 18 सामान्य श्रेणी के राज्यों में चौथे स्थान पर है. राज्य सरकार पंचायती राज संस्थाओं एवं स्थानीय निकायों को लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध है. स्थानीय निकायों को भारत सरकार से मिलने वाले अनुदान में वृद्धि की ओर ध्यान आकृष्ट कराया गया.
मुख्य सचिव की ओर से 50 प्रतिशत वर्टिकल डेवोल्यूशन का सुझाव दिया गया. साथ ही, होरिजेंटल डेवोल्यूशन के फॉर्मूला में जनसंख्या, विकसित राज्य से इनकम का अंतर, वन एवं खुले वन तथा जीएसटी के कारण हो रही क्षति को सम्मिलित करने पर बल दिया गया .
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/ विकाश कुमार पांडे
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