जयपुर, 31 मई . राजस्थान हाईकोर्ट ने एक मामले में पत्नी के खुद को बेरोजगार बताकर पति से हर माह पन्द्रह हजार रुपये गुजारा भत्ता लेने से जुडे मामले में महिला उत्पीड़न कोर्ट के 2 अगस्त, 2023 के आदेश को निरस्त कर दिया है. वहीं अदालत ने निचली अदालत के उस आदेश को बहाल किया है, जिसमें अदालत ने पांच हजार रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने को कहा था. जस्टिस उमाशंकर व्यास ने यह आदेश निशित दुबे की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान पति के अधिवक्ता मोहम्मद आदिल ने अदालत को बताया कि
पत्नी ने घरेलू हिंसा कानून के तहत निचली कोर्ट में खुद व 7 साल की बेटी के लिए भरण-पोषण भत्ता दिलवाने का प्रार्थना पत्र दायर किया था. कोर्ट ने 23 सितंबर 2022 को दोनों के लिए 5-5 हजार रुपए महीना भरण-पोषण भत्ता देने का आदेश दिया. इसके खिलाफ पेश अपील पर अपीलीय कोर्ट ने पत्नी व बेटी के लिए हर माह 15-15 हजार रुपये भरण-पोषण भत्ता देने का निर्देश दिया. इसे पति ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि पत्नी आय अर्जित कर रही है और उसने झूठा शपथ पत्र पेश कर खुद को बेरोजगार बताया है. इसलिए अपीलीय कोर्ट का आदेश रद्द करे. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने माना की पत्नी मासिक 24 हजार रुपये की आय कमा रही है. ऐसे में अपीलीय अदालत का आदेश निरस्त किया जाता है. हालांकि अदालत ने बेटी के लिए भरण पोषण के पन्द्रह हजार रुपये मासिक देने के आदेश में दखल से इनकार किया है.
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