नई दिल्ली, 25 जून (Udaipur Kiran) । केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने संयुक्त रूप से बुधवार को आपातकाल की 50वीं बरसी पर बुधवार को कनॉट प्लेस स्थित सेंट्रल पार्क में आयोजित विशेष प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री प्रवेश साहिब सिंह, आशीष सूद, कपिल मिश्रा, सांसद बांसुरी स्वराज और वरिष्ठ कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि 25 जून 1975 का दिन भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला अध्याय है, जिसकी विभीषिका को राष्ट्र कभी भुला नहीं सकता। आज ही के दिन सन 1975 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भारतीय संविधान में निहित मूल्यों को दरकिनार कर मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया था।
उन्होंने कहा कि रातों-रात आपातकाल थोपकर कांग्रेस ने यह साबित कर दिया कि उसके लिए सत्ता सर्वोपरि है, लोकतंत्र और संविधान नहीं। कोई भी भारतीय यह कभी नहीं भूलेगा कि किस प्रकार हमारे संविधान की भावना का सरेआम हनन किया गया था।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम लोकतंत्र की रक्षा के लिए हर परिस्थिति में अडिग होकर खड़े रहेंगे, ताकि ऐसी तानाशाही की पुनरावृत्ति कभी न हो सके।
इस मौके पर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि यह प्रदर्शनी उस काले अध्याय की सजीव स्मृति है, जब 1975 में सत्ता के लोभ में कांग्रेस सरकार ने संविधान, लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों की निर्ममता से हत्या की थी। उन्होंने कहा कि आज संविधान हत्या दिवस पर हम उन सभी लोकतंत्र सेनानियों को कृतज्ञता और श्रद्धा के साथ नमन करते हैं, जिन्होंने जेलों की यातना सहकर, नागरिक स्वतंत्रताओं के हनन के विरुद्ध आवाज उठाकर और अपने जीवन को जोखिम में डालकर लोकतंत्र की लौ को बुझने नहीं दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वो आंदोलन केवल राजनीतिक नहीं था, वह भारत की आत्मा की रक्षा का संग्राम था। और यही कारण है कि देश की जनता ने कांग्रेस की तानाशाही मानसिकता को नकारते हुए, लोकतंत्र की पुनः स्थापना की। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी न केवल इतिहास का पुनर्स्मरण है, बल्कि लोकतंत्र पर हमला करने वाली मानसिकता के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि भारत का लोकतंत्र हमारी आस्था है, और जब भी उस पर कोई संकट आएगा, देश की जनता एकजुट होकर उसकी रक्षा करेगी।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने इस प्रदर्शनी का उद्देश्य आज की नई पीढ़ी को यह बताना है कि वर्ष 1975 में आपातकाल के दौरान कांग्रेसियों ने देश में किस प्रकार का दमन किया, कैसे जनता की आवाज को दबाया गया और लोकतंत्र को सत्ता के मद में चूर काग्रेसियों ने किस तरह बेरहमी से कुचल दिया।
उन्होंने बताया कि इस प्रदर्शनी में वे सभी महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज पहली बार जनता के सामने प्रस्तुत किए गए हैं, जो अब तक कभी सार्वजनिक नहीं किए गए थे। 25 जून की यह तारीख भारत के इतिहास में काले अध्याय के रूप में दर्ज है।
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(Udaipur Kiran) / धीरेन्द्र यादव
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