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भारत की आध्यात्मिक शक्ति ने हमेशा संकट के समय में भारत का मार्गदर्शन किया: डॉ मनसुख मांडविया

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-काशी घोषणा पत्र ने युवाओं के नेतृत्व वाले नशा मुक्ति आंदोलन के लिए पॉच साल का रोडमैप किया निर्धारित

-वाराणसी में युवा आध्यात्मिक शिखर सम्मेलन का समापन

वाराणसी, 20 जुलाई (Udaipur Kiran) । विकसित भारत के लिए नशा मुक्त युवा विषय पर युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय की ओर से आयोजित तीन दिवसीय युवा आध्यात्मिक शिखर सम्मेलन का समापन रविवार को काशी घोषणापत्र को औपचारिक रूप से अपनाने के साथ हुआ। सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में सम्मेलन के अंतिम दिन 600 से अधिक युवा नेता, 120 से अधिक आध्यात्मिक और सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों के प्रतिनिधि, शिक्षाविद और क्षेत्र विशेषज्ञ शामिल हुए। सम्मेलन के समापन समारोह में केन्द्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्री, डॉ. मनसुख मांडविया ने इस बात पर ज़ोर दिया किहमने पिछले तीन दिनों में विविध विषयगत सत्रों में गहन चिंतन किया है। इस सामूहिक चिंतन के आधार पर, काशी घोषणापत्र का जन्म हुआ है, न केवल एक दस्तावेज़ के रूप में, बल्कि भारत की युवा शक्ति के लिए एक साझा संकल्प के रूप में। उन्होंने कहा कि भारत की आध्यात्मिक शक्ति को अब विकसित भारत के लिए नशा मुक्त युवा बनाने में अग्रसर भूमिका निभानी चाहिए और इस महाअभियान का आधार बनना चाहिए।

आध्यात्मिक संस्थाओं की अग्रणी भूमिका पर ज़ोर

डॉ मांडविया ने कहा कि भारत की आध्यात्मिक शक्ति ने हमेशा संकट के समय में भारत का मार्गदर्शन किया है। इसलिए आध्यात्मिक संस्थाओं को अब विकसित भारत के लिए नशा मुक्त युवा बनाने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जो विजन है। साल 2047 में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का,उसे तब ही पूरा किया जा सकता है जब हमारी युवा पीढ़ी नशे से दूर होगी।

समारोह में बोले हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल

समापन समारोह में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि काशी की यह पावन भूमि सनातन चेतना का उद्गम स्थल है, जहाँ अनुशासन और मूल्य जीवन को मोक्ष की ओर ले जाते हैं। हम केवल एकत्रित नहीं हो रहे हैं, हम ऐसे बीज बो रहे हैं जो एक दिन राष्ट्रीय परिवर्तन के एक सशक्त वृक्ष के रूप में विकसित होंगे। राज्यपाल ने कहा कि यदि एक ऐसा राष्ट्र, जहाँ 65 प्रतिशत युवा आबादी मादक पदार्थों का शिकार हो जाती है, जो इससे मुक्त होंगे केवल वे ही भविष्य का निर्माण कर पाएँगे। सम्मेलन में राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने प्रदेश में नशे के विरुद्ध अभियान की शुरुआत की, तो सबसे पहले पंचायत प्रतिनिधियों और युवाओं को जोड़ा। “गांव-गांव जाकर लोगों को समझाया, यदि मांग बंद कर दो, तो आपूर्ति खुद रुक जाएगी।” आज हिमाचल प्रदेश में छात्र-छात्राएं, शिक्षक, अभिभावक और सामाजिक कार्यकर्ता मिलकर नशा विक्रेताओं का सामाजिक बहिष्कार कर रहे हैं। राज्यपाल ने कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुझे यह मंत्र दिया था कि जब तक नशे की मांग नहीं खत्म होगी, आपूर्ति नहीं रुकेगी। उसी आधार पर हमने गांव-गांव जाकर लोगों को चेताया और आज हिमाचल प्रदेश जागरूक है।

दिन के सत्र का मुख्य भाषण उत्तर प्रदेश के आबकारी एवं मद्य निषेध राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नितिन अग्रवाल ने दिया।

केंद्रीय मंत्रियों की सहभागिता

सम्मेलन में केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार, केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, युवा मामलों की राज्य मंत्री रक्षा निखिल खड़से, उत्तर प्रदेश के खेल मंत्री गिरीश चंद्र यादव, और राज्य मंत्री अनिल राजभर ने भी विभिन्न सत्रों में हिस्सा लिया। केन्द्रीय मंत्री रक्षा खड़से ने स्कूली बच्चों को निशाना बनाने वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग को बताया। और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की शून्य-सहिष्णुता नीति को दोहराया।

चर्चाओं के आधार पर ‘काशी घोषणा’ तैयार,युवाओं के लिए पांच साल का रोडमैप

इस सम्मेलन ने युवा ऊर्जा, आध्यात्मिक दृष्टि और संस्थागत संकल्प के राष्ट्रीय संगम का प्रतिनिधित्व किया। शिखर सम्मेलन में मादक द्रव्यों के सेवन के प्रमुख आयामों पर चर्चा करने के लिए चार केंद्रित पूर्ण सत्र आयोजित किए । इसमें मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव, मादक पदार्थों की तस्करी और आपूर्ति श्रृंखलाओं की कार्यप्रणाली, जमीनी स्तर पर जागरूकता अभियानों की रणनीतियाँ, और पुनर्वास एवं रोकथाम में आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं की भूमिका। इन चर्चाओं के आधार पर ‘काशी घोषणा’ तैयार की गई। काशी घोषणा पत्र ने युवाओं के नेतृत्व वाले नशा मुक्ति आंदोलन के लिए पॉच साल का रोडमैप निर्धारित कर दिया।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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