रांची, 4 जुलाई (Udaipur Kiran) । हैवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन (एचईसी) के ठेका मजदूरों की प्रबंधन से मांगें कोई नयी नहीं हैं, बल्कि वे पहले से मिलती रही सुविधाओं की बहाली की लड़ाई लड़ रहे हैं। प्रबंधन को इसपर ऐतराज नहीं होना चाहिए। यह बातें हटिया कामगार यूनियन (एटक) के उपाध्यक्ष लालदेव सिंह ने शनिवार को प्रेस रिलीज जारी कर कही।
उन्होंने आरोप लगाया कि एचईसी प्रबंधन ठेका मजदूरों को नई आपूर्ति प्रणाली के तहत ठेकेदारों के हवाले करने की साजिश रच रही है और इसके लिए मजदूरों से जबरन अंडरटेकिंग ली जा रही है।
लालदेव ने कहा कि अब मजदूरों को मिलने वाला रविवार का वेतन, सालाना सात सीएल (छुट्टियां) और काम की स्थिरता जैसी पूर्व की सुविधाएं समाप्त कर दी गई हैं। इसके अलावा, ठेकेदार को यह अधिकार भी दिया जा रहा है कि वह मजदूरों को जब चाहे काम से हटा सकता है। जबकि सैकड़ों मजदूर पिछले 20–25 वर्षों से एचईसी के विभिन्न संयंत्रों में लगातार काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रबंधन जानबूझकर नई प्रणाली में मजदूर कर्मियों को शामिल करना चाह रहा है और आंदोलन कर रहे मजदूरों को बदनाम करने के लिए दलालों के जरिए यह अफवाह फैलाई जा रही है कि मजदूरों का यह आंदोलन एचईसी के रिवाइवल (पुनरुद्धार) प्रक्रिया में बाधा बन रहा है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में हुई हालिया बैठक सिर्फ निगम की वर्तमान स्थिति का जायजा लेने के लिए थी, न कि पुनरुद्धार पर अंतिम निर्णय लेने के लिए। सरकार को रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद ही फैसला होगा कि एचईसी को पुनर्जीवित किया जाए या नहीं। पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम और नीति आयोग पहले भी एचईसी को बचाने की सिफारिश कर चुके हैं, लेकिन सरकार ने तब वह सिफारिशें नहीं माना था।
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(Udaipur Kiran) / Manoj Kumar
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