कानपुर, 31 अक्टूबर (Udaipur Kiran) . देश की प्रगति के लिए शिक्षा, शोध और उद्योग के बीच मजबूत जुड़ाव जरूरी है. संस्थान में साइबर-फिजिकल सिस्टम्स से जुड़ी कई गतिविधियां चल रही हैं. जिनमें नए शोध कार्यक्रम, तकनीकी जनशक्ति का प्रशिक्षण, स्टार्टअप्स को सहयोग और मेंटरिंग कार्यक्रम शामिल हैं. भारत के इंजीनियरिंग क्षेत्र का भविष्य विभिन्न विषयों के मिलकर काम करने में है. जैसे इंटेलिजेंट सिस्टम्स और साइबर-फिजिकल टेक्नोलॉजी जो हमें आत्मनिर्भर और डिजिटल रूप से सशक्त भारत बनाने की दिशा में आगे बढ़ा सकते हैं. यह बातें शुक्रवार को आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो मणीन्द्र अग्रवाल ने कही.
इंडियन नेशनल एकेडमी आफ इंजीनियरिंग द्वारा देश के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों के साथ संयुक्त रूप से आयोजित वार्षिक कार्यक्रम इंजीनियर्स कॉन्क्लेव 2025 का सफल आयोजन Indian प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर में किया गया. यह कॉन्क्लेव श्रृंखला का बारहवां संस्करण था, जिसमें देशभर के प्रतिष्ठित इंजीनियरों, वैज्ञानिकों, तकनीकी विशेषज्ञों, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों और नीति निर्माताओं ने भाग लिया. इस वर्ष कॉन्क्लेव की दो मुख्य थीमें थीं-इंटेलिजेंट सिस्टम्स जिसका समन्वय आईआईटी कानपुर के विद्युत अभियंत्रण विभाग के प्रो आदित्य के जगन्नाथम ने किया और इंटरडिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम्स जिसका समन्वय आईएनएई के उपाध्यक्ष, पूर्व निदेशक आईआईटी जोधपुर एवं वर्तमान में आईआईटी दिल्ली के प्रो संतनु चौधरी ने किया.
ये दोनों विषय भारत की आर्थिक प्रगति, सामाजिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं. क्योंकि ये डिजिटल और भौतिक अवसंरचना के संगम को सक्षम बनाते हैं. इस कॉन्क्लेव में देश के लिए आवश्यक इंजीनियरिंग के इन विशेष क्षेत्रों में आगे बढ़ने की चुनौतियों और अवसरों पर बात की गई. कॉन्क्लेव के दौरान, जाने-माने इंजीनियरिंग एक्सर्ट्स ने साइबर फिजिकल सिस्टम के बड़े क्षेत्र में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और नवीनतम आर एंड डी डेवलपमेंट पर चर्चा की और इंटेलिजेंट सिस्टम और इंटरडिसिप्लिनरी साइबर फिजिकल सिस्टम जैसे दो जरूरी विषयों पर जानकारी युक्त टेक्निकल बातें बताईं.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. विक्रम साराभाई डिस्टिंग्युस्ड प्रोफेसर इसरो कुलाधिपति चाणक्य विश्वविद्यालय, बेंगलुरु, पूर्व सचिव, अंतरिक्ष विभाग एवं पूर्व अध्यक्ष इसरो डॉ एस सोमनाथ ने कहा कि कॉन्क्लेव के लिए चुने गए साइबर-फिजिकल सिस्टम और इंटेलिजेंस इंजीनियरिंग के विषय सरकार के मिशन मोड के हिसाब से हैं और इसके अच्छे नतीजे भी दिख रहे हैं. हम सभी साइबर फिजिकल सिस्टम का हिस्सा हैं. चंद्रयान फिजिकल सिस्टम का एक बेहतरीन उदाहरण है, जिसमें चंद्रयान-2 के लिए तैयार किए गए सॉफ्टवेयर को अपग्रेड करके चंद्रयान-3 के सफल लॉन्च के लिए इस्तेमाल किया गया. साइबर-फिजिकल सिस्टम्स चिकित्सा, विनिर्माण और अन्य अनेक क्षेत्रों में अपार संभावनाएं रखते हैं.
(Udaipur Kiran) / रोहित कश्यप
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