नाॅर्वे में हुई थी सब जूनियर पावर लिफ्टिंग विश्व बेंच प्रेस चैम्पियनशिपलक्ष्य ने अपना रिकार्ड तोड़कर बनाया नया कॉमनवेल्थ व एशियाई रिकॉर्ड
हिसार, 28 मई . नॉर्वे में हुई सब जूनियर पावर लिफ्टिंग विश्व बेंच प्रेस चैम्पियनशिप
2025 में हिसार जिले के
पावरलिफ्टर लक्ष्य कुंडू के स्वर्ण पदक जीतकर वापस आने पर उनका शहर में भव्य स्वागत किया गया. इस प्रतियोगिता में
लक्ष्य ने कॉमनवेल्थ रिकॉर्ड और अपना पूर्व एशियाई रिकॉर्ड तोड़ते हुए एक
नया कीर्तिमान स्थापित किया.
हिसार के सेक्टर 1 निवासी पावरलिफ्टर लक्ष्य कुंडू के स्वर्ण पदक जीतने के बाद नगर में आगमन
पर बुधवार को सेक्टर 1-4 के नमस्ते चौक पर रेसिडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान
राजकुमार रेडू, महासचिव रामनिवास सोनी एवं सेक्टर वासियों ने ढोल नगाड़ों से स्वागत किया गया. लक्ष्य कुंडू मूल रूप से जिले के गांव खैरी निवासी हैं. लक्ष्य हिसार के राजकीय महाविद्यालय में प्रथम वर्ष का छात्र है. खेल के साथ-साथ वह
पढ़ाई में भी होनहार है. लक्ष्य पिछले दो वर्षों से फव्वारा चौक स्थित जिम में राजेश
दुहान से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है.
उल्लेखनीय है कि सब जूनियर पावर लिफ्टिंग विश्व बेंच प्रेस चैम्पियनशिप 2025 नार्वे के ड्रमेन शहर में 17 से 24 मई, 2025 तक आयोजित हुई थी. जिसमें
दुनियाभर के टॉप पावरलिफ्टर्स ने भाग लिया था. लक्ष्य ने इस प्रतियोगिता में पहले प्रयास में 170 किलोग्राम, दूसरे प्रयास में 177.5 किलोग्राम
(176 किलोग्राम का अपना ही पिछला एशियाई रिकॉर्ड तोड़ा), तीसरे प्रयास में 182.5 किलोग्राम
वजन उठाकर नया कॉमनवैल्थ और एशियाई रिकॉर्ड स्थापित किया. इस अद्वितीय उपलब्धि के साथ
लक्ष्य कुंडू विश्व स्तर पर सिंगल बेंच प्रेस में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय
बने हैं.
सैन्य पृष्ठभूमि से मिला अनुशासन और प्रेरणा
लक्ष्य के पिता राजेश कुमार, भारतीय सेना से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और उनकी
माता निर्मल देवी एक गृहिणी हैं. अपने माता-पिता की मेहनत और अनुशासन की परवरिश को
लक्ष्य ने अपनी शक्ति का मूल बताया. लक्ष्य के अनुसार मेरे पिता ने जो अनुशासन मुझे
सिखाया, वही मेरी सबसे बड़ी ताकत बनी और मेरी मां ने हर कठिन समय में मेरा संबल बनकर
साथ दिया. अपनी ऐतिहासिक जीत के बाद लक्ष्य ने कहा कि यह जीत सिर्फ मेरी नहीं है, यह
पूरे भारत की है. मेरे कोच राजेश दुहान, मेरे माता-पिता और उन सभी लोगों की है जिन्होंने
मुझ पर विश्वास किया, मेरा मार्गदर्शन किया और मेरा साथ दिया. यह पदक केवल मेरा नहीं
है, यह मेरे देश, मेरे कोच और मेरे माता-पिता का है.
/ राजेश्वर
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