राम-भरत मिलन के भावुक क्षणों में भीगा काशी, ‘राजा रामचंद्र की जय’ से गूंजा आकाश
वाराणसी, 03 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . काशी नगरी की आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम शुक्रवार को नाटी इमली के ऐतिहासिक भरत मिलाप मैदान में देखने को मिला, जब मूसलाधार बारिश और कड़कती बिजली के बीच लाखों श्रद्धालु राम-भरत मिलन के साक्षी बनने पहुंचे. 14 वर्षों के वनवास के बाद भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता के साथ पुष्पक विमान पर सवार होकर अयोध्या लौटने की इस प्रतीकात्मक लीला में आस्था की पराकाष्ठा देखने को मिली.
गोधूलि वेला में जब भरत और शत्रुघ्न ने दूर से भगवान राम का आगमन देखा, तो श्रद्धा और प्रेम में विह्वल होकर भूमि पर शाष्टांग दंडवत हो गए. यह दृश्य इतना भावुक था कि जब भगवान राम ने भरत को दौड़ कर गले लगाया, तो मंच ही नहीं, समूचा जनसमूह भी भावनाओं से भीग उठा. रामचरित मानस के उत्तर कांड की चौपाइयों के सस्वर पाठ के साथ यह दिव्य मिलन हुआ—
परे भूमि नहिं उठत उठाए. बर करि कृपासिंधु उर लाए. स्यामल गात रोम भए ठाढ़े. नव राजीव नयन जल बाढ़े. चारों भाइयों को गले मिलते देख लीलाप्रेमियों के नयन सजल हो गए. चारों भाइयों के मिलन के अद्भुत पल में बारिश रूपी प्राकृतिक विषमता के बावजूद लगा मानों समय भी ठिठक गया हो. लोगों का शरीर भले ही बारिश के पानी से सराबोर रहा लेकिन निगाहे एक टक रामलीला मंच पर ही टिकी रही.
—बारिश में भी नहीं डिगी श्रद्धा
सुबह से ही हो रही बारिश के बावजूद श्रद्धालु दोपहर एक बजे से मैदान में जुटने लगे थे. शाम होते-होते जनसैलाब इतना बढ़ गया कि मैदान के साथ आसपास की छतें, बालकनियां, गलियाँ तक श्रद्धालुओं से पट गईं. श्रद्धालुओं का कहना था कि यह केवल रामलीला नहीं, बल्कि एक अलौकिक अनुभव है — जहां कुछ क्षणों के लिए स्वयं भगवान अवतरित होते हैं.
—पुष्पक विमान पर सवार होकर पहुंचे प्रभु राम
चित्रकूट रामलीला समिति की ओर से आयोजित इस 482वें भरत मिलाप महोत्सव में धूपचंडी से विशाल पुष्पक विमान पर सवार होकर प्रभु राम, लक्ष्मण, सीता, जामवंत, अंगद और विभीषण के साथ नाटी इमली पहुंचे. यादव समाज के सैकड़ों युवाओं ने विमान को कंधों पर उठाकर जलजमाव के बीच दौड़ते हुए इसे मंच स्थल तक पहुंचाया.
—काशी नरेश के वंशज की गरिमामयी उपस्थिति
पूर्व काशी नरेश डॉ. अनंत नारायण सिंह और राजपरिवार के सदस्य भी भरत मिलाप में शामिल हुए. लोहटिया से बारिश के चलते हाथी पर सवार होने के बजाय कार से पूर्व काशी नरेश के वंशज डॉ. अनंत नारायण सिंह व राजपरिवार के सदस्य नाटी इमली की ओर चले. रास्ते में हर-.हर महादेव का उद्घोष व हाथ जोड़कर लोग डॉ अनंत नारायण सिंह का गर्मजोशी से अभिनन्दन करते रहे. नाटी इमली के मैदान में डॉ अनंत नारायण सिंह का काफिला पहुंचा. यहां से डॉ अनंत नारायण सिंह ने पहली बार पैदल ही रामलीला के मंच की परिक्रमा की. इसके बाद पुलिस और पीएसी की सशस्त्र टुकड़ी ने उन्हें गार्ड ऑफ आनर दिया. डॉ अनंत नारायण सिंह ने परम्परानुसार मेले के व्यवस्थापक को स्वर्णमुद्रा दी. इसके बाद मंच के एक ओर उनका काफिला खड़ा हो गया.
—चारों भाइयों का मिलन—एक दिव्य अनुभूति
राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न के गले मिलने के इस भावुक दृश्य ने उपस्थित लाखों लीलाप्रेमियों को भावविभोर कर दिया. पुष्पवर्षा के बीच ‘राजा रामचंद्र की जय’ और ‘हर-हर महादेव’ के उद्घोष से आकाश गूंज उठा. इसके बाद चारों भाइयों ने चारों दिशाओं में घूमकर भक्तों को दर्शन दिए और फिर पुष्पक विमान पर सवार होकर अयोध्या भवन की ओर प्रस्थान किया.
—अंतिम पड़ाव—अयोध्या भवन
नाटी इमली से पुष्पक विमान का शोभायात्रा के रूप में बड़ा गणेश, ईश्वरगंगी, डीएवी कॉलेज, नवापुरा, लोहटिया होते हुए अयोध्या भवन तक का सफर भी आस्था और उल्लास से परिपूर्ण रहा. मार्ग में श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर प्रभु का स्वागत किया. अंत में पंच स्वरूपों की आरती के साथ इस विश्व प्रसिद्ध भरत मिलाप का समापन हुआ.
—कुछ क्षण के लिए रामलीला में दिव्य अनुभूति
लीलाप्रेमी धूपचंडी बलभद्र काॅलोनी निवासी संजय पांडेय, विवेक उपाध्याय,रामआसरे मिश्र बताते है कि काशी के नाटी इमली भरत मिलाप को लेकर लोगों में ऐसा विश्वास है कि स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम कुछ क्षण के लिए यहां अवतरित होते हैं. अनूठी निर्मल भाव निहित इस पांच मिनट की अलौकिक रामलीला को निहारने के लिए भारत ही नहीं, विदेशों तक से श्रद्धालु आते हैं. रामचरित मानस के उत्तरकांड की चौपाई की पंक्तियां ‘परे भूमि नहिं उठत उठाए. बर करि कृपासिंधु उर लाए. स्यामल गात रोम भए ठाढ़े. नव राजीव नयन जल बाढ़े. यहां जीवंत दिखायी देती है.
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
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