Health Tips : टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस एक ऐसी बीमारी है, जो समय रहते इलाज न मिलने पर शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। यह फेफड़ों को प्रभावित करने वाली एक संक्रामक बीमारी है, जो हवा के जरिए फैलती है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके लक्षणों को नजरअंदाज करना कितना खतरनाक हो सकता है? अगर सही समय पर ध्यान न दिया जाए, तो यह बीमारी न सिर्फ फेफड़ों को, बल्कि शरीर के दूसरे हिस्सों को भी प्रभावित कर सकती है।
आइए, इस बारे में विस्तार से जानते हैं कि टीबी का इलाज समय पर क्यों जरूरी है और इसके लक्षणों को कैसे पहचानें।
टीबी क्या है और यह कैसे फैलती है?
टीबी एक बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है, जिसे माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस कहते हैं। यह आमतौर पर फेफड़ों को निशाना बनाती है, लेकिन यह हड्डियों, किडनी और दिमाग तक को प्रभावित कर सकती है।
जब कोई टीबी से ग्रस्त व्यक्ति खांसता, छींकता या बात करता है, तो हवा में मौजूद बैक्टीरिया दूसरों तक पहुंच सकते हैं। यही वजह है कि भीड़-भाड़ वाली जगहों पर इसका खतरा ज्यादा रहता है।
लेकिन अच्छी बात यह है कि अगर शुरुआत में ही इसका पता चल जाए, तो इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।
लक्षण जो चेतावनी देते हैं
टीबी के शुरुआती लक्षण इतने साधारण हो सकते हैं कि लोग अक्सर इन्हें सामान्य सर्दी-जुकाम समझकर टाल देते हैं। लगातार खांसी जो दो हफ्तों से ज्यादा बनी रहे, खांसी के साथ बलगम या खून आना, सीने में दर्द, थकान, वजन कम होना और रात को पसीना आना इसके आम लक्षण हैं।
अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण नजर आए, तो इसे हल्के में न लें। तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना ही समझदारी है, क्योंकि देरी से हालात बिगड़ सकते हैं।
समय पर इलाज न करने के खतरे
अगर टीबी का इलाज समय पर शुरू न हो, तो यह बीमारी फेफड़ों से आगे बढ़कर शरीर के दूसरे अंगों को नुकसान पहुंचा सकती है। इससे मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टीबी (MDR-TB) का खतरा भी बढ़ जाता है, जिसका इलाज बेहद मुश्किल और लंबा होता है।
इसके अलावा, यह रोगी के परिवार और आसपास के लोगों के लिए भी खतरा बन सकता है। यही नहीं, इलाज में देरी से मरीज की जान तक जा सकती है। इसलिए, लक्षण दिखते ही जांच करवाना बेहद जरूरी है।
बचाव और इलाज का आसान रास्ता
टीबी से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना, भीड़ वाली जगहों पर मास्क पहनना और पौष्टिक खान-पान बहुत जरूरी है। अगर आपको टीबी का शक हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें और जरूरी टेस्ट जैसे छाती का एक्स-रे या बलगम की जांच करवाएं।
इलाज आमतौर पर 6 से 9 महीने तक चलता है, जिसमें दवाइयों का पूरा कोर्स लेना जरूरी होता है। अधूरा इलाज बीमारी को और खतरनाक बना सकता है।
जागरूकता ही है सबसे बड़ी ताकत
टीबी को लेकर जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी है। लोग अक्सर इसे छिपाते हैं या इलाज में लापरवाही बरतते हैं, जो गलत है। यह एक इलाज योग्य बीमारी है, बशर्ते समय पर कदम उठाया जाए।
अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य के लिए लक्षणों को नजरअंदाज न करें और सही समय पर सही कदम उठाएं।
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