हर साल की तरह इस बार भी इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने की प्रक्रिया लाखों लोगों के लिए जरूरी है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि किसी व्यक्ति के निधन के बाद भी उसका ITR दाखिल करना पड़ सकता है? यह सुनकर हैरानी हो सकती है, लेकिन यह सच है।
अगर इसे नजरअंदाज किया गया तो मृतक के परिवार या उत्तराधिकारियों को टैक्स विभाग से नोटिस तक मिल सकता है। आइए, इस बारे में विस्तार से जानते हैं कि मृतक के नाम पर ITR दाखिल करना क्यों जरूरी है और इसकी प्रक्रिया क्या है।
मृत्यु के बाद ITR क्यों जरूरी?
जब किसी व्यक्ति का निधन हो जाता है, तो आमतौर पर यह मान लिया जाता है कि उनकी सभी कानूनी जिम्मेदारियां खत्म हो गईं। लेकिन इनकम टैक्स विभाग का नियम कुछ और कहता है। अगर मृतक ने उस वित्त वर्ष में टैक्स के दायरे में आने वाली आय अर्जित की थी, जिसमें उनकी मृत्यु हुई, तो उस साल का ITR दाखिल करना अनिवार्य होता है।
इसे विभाग 'इनकम बिफोर डेथ' के रूप में देखता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु दिसंबर 2024 में हुई और उसने उस साल वेतन, ब्याज या किराए से आय अर्जित की थी, तो उसका ITR दाखिल करना जरूरी है।
ITR दाखिल करने की जिम्मेदारी किसकी?
मृतक की ओर से ITR दाखिल करने का दायित्व उनके कानूनी उत्तराधिकारी या 'लीगल हीर' पर होता है। यह जिम्मेदारी आमतौर पर परिवार के किसी करीबी सदस्य जैसे पति, पत्नी, बेटा, बेटी या अन्य नजदीकी रिश्तेदार को दी जाती है। कानूनी उत्तराधिकारी को यह साबित करना होता है कि वे मृतक के अधिकृत प्रतिनिधि हैं। इसके लिए कुछ जरूरी दस्तावेजों की आवश्यकता पड़ती है, जिनके बारे में आगे बताया गया है।
ITR दाखिल करने की प्रक्रिया
मृतक की ओर से ITR दाखिल करना कोई जटिल प्रक्रिया नहीं है, बशर्ते आप सही कदम उठाएं। सबसे पहले यह तय करना जरूरी है कि मृतक का कानूनी उत्तराधिकारी कौन होगा। इसके लिए मृत्यु प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, परिवार रजिस्टर या वसीयत जैसे दस्तावेज जमा करने पड़ते हैं।
इसके बाद, उत्तराधिकारी को इनकम टैक्स विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर 'Representative Assessee' के रूप में पंजीकरण कराना होता है। पंजीकरण के दौरान मृतक का मृत्यु प्रमाण पत्र, पहचान पत्र और उत्तराधिकारी होने का प्रमाण अपलोड करना जरूरी है।
जब विभाग से मंजूरी मिल जाती है, तब उत्तराधिकारी मृतक की ओर से उस वित्त वर्ष का ITR दाखिल कर सकता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है और इसे समय पर पूरा करना जरूरी है, ताकि किसी भी तरह की पेनल्टी या नोटिस से बचा जा सके।
किन बातों का रखें ध्यान?
कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है। अगर मृतक की मृत्यु 31 मार्च से पहले हुई और उनकी आय टैक्स योग्य सीमा से अधिक थी, तो ITR दाखिल करना अनिवार्य है। वहीं, अगर उनकी कोई टैक्सेबल आय नहीं थी, तो ITR दाखिल करने की जरूरत नहीं पड़ती।
इसके अलावा, अगर मृतक को कोई टैक्स रिफंड मिलना बाकी है, तो उसके लिए भी ITR दाखिल करना जरूरी होता है। यह रिफंड उत्तराधिकारी के खाते में ट्रांसफर किया जा सकता है।
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