सावन का पवित्र महीना भगवान शिव की भक्ति में डूबने का समय है। इस दौरान उज्जैन का विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर आस्था और उत्साह का केंद्र बन जाता है। सावन के प्रत्येक सोमवार को निकलने वाली महाकाल की सवारी न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अनूठी है। इस सवारी में भगवान महाकाल अपने भक्तों को दर्शन देने नगर भ्रमण पर निकलते हैं, और इस बार सावन के दूसरे सोमवार को यह सवारी और भी भव्य और रंगारंग होने वाली है।
भक्ति और उत्सव का संगममहाकाल की सवारी का दृश्य हर भक्त के मन को मोह लेता है। ढोल-नगाड़ों की गूंज, जयकारों की ऊंची आवाज और भक्तों का उत्साह इस अवसर को अविस्मरणीय बनाता है। इस बार सवारी में भगवान महाकाल दो रूपों में दर्शन देंगे। अवंतिकानाथ के रूप में चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर और मनमहेश के रूप में हाथी पर सवार होकर भक्तों को आशीर्वाद देंगे। यह दृश्य न केवल आध्यात्मिक, बल्कि सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक भी है।
आठ राज्यों की सांस्कृतिक झलकइस ऐतिहासिक सवारी में देश के आठ राज्यों—मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, छत्तीसगढ़, हरियाणा, गुजरात और झारखंड—के पारंपरिक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। नृत्य, संगीत और लोक परंपराओं के माध्यम से ये कलाकार सवारी को और भी जीवंत बनाएंगे। यह सवारी न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता का उत्सव भी है, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।
घर बैठे लें सवारी का आनंदआधुनिक तकनीक ने भक्ति को और भी सुलभ बना दिया है। मंदिर समिति ने इस बार सवारी का सीधा प्रसारण सोशल मीडिया पर करने की व्यवस्था की है। जो भक्त मंदिर नहीं पहुंच पाते, वे घर बैठे इस भव्य आयोजन का आनंद ले सकेंगे। यह पहल खासतौर पर उन लोगों के लिए वरदान है जो दूर-दराज के क्षेत्रों में रहते हैं और महाकाल के दर्शन की अभिलाषा रखते हैं।
सवारी का मार्ग और समयमहाकाल की सवारी दोपहर 4 बजे मंदिर से शुरू होगी और उज्जैन के प्रमुख मार्गों से होकर गुजरेगी। यह कोट मोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी से होते हुए शिप्रा नदी के तट पर पहुंचेगी, जहां विशेष पूजा-अर्चना होगी। इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर और पटनी बाजार से गुजरते हुए वापस मंदिर पहुंचेगी। वहां भगवान महाकाल की संध्या आरती के साथ सवारी का समापन होगा।
आगामी सवारी की तारीखेंयह भव्य सवारी सावन के शेष सोमवारों—28 जुलाई, 4 अगस्त, 11 अगस्त और 18 अगस्त को भी निकलेगी। प्रत्येक सवारी में भक्तों को भगवान महाकाल के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होगा। यह अवसर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि उज्जैन की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को भी उजागर करता है।
सावन और महाकाल का महत्वसावन का महीना शिव भक्ति के लिए विशेष माना जाता है। इस दौरान महाकालेश्वर मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। सवारी का आयोजन भगवान शिव की महिमा और शक्ति का प्रतीक है। यह भक्तों को एकजुट करता है और उन्हें आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। उज्जैन, जो बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक का घर है, इस अवसर पर पूरी तरह से शिवमय हो जाता है।
यह सवारी न केवल उज्जैन के निवासियों, बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों और भक्तों के लिए भी एक अनूठा अनुभव है। यदि आप इस सावन में उज्जैन की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो महाकाल की सवारी का हिस्सा बनना न भूलें। यह आपके जीवन का एक अविस्मरणीय अनुभव होगा।
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