गौरतलब है कि यह मंदिर अबू मुरेइखा क्षेत्र में 27 एकड़ जमीन पर बनाया गया है। पारंपरिक भारतीय वास्तुकला के अनुसार इसे बिना लोहे और स्टील के बनाया गया है। इसमें भारत और अन्य देशों से लाए गए पत्थरों और संगमरमर का उपयोग किया गया है। इस भव्य मंदिर की दीवारों पर भारतीय देवी-देवताओं, वनस्पति-जीवों और वैदिक कथाओं की अत्यंत सूक्ष्म और आकर्षक नक्काशी की गई है। यह नक्काशी शांति, सहिष्णुता और सह-अस्तित्व जैसे सार्वभौमिक मूल्यों को दर्शाती है।
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सांस्कृतिक केंद्र भी है इसका परिसर
बता दें, इस मंदिर में पारंपरिक नागर शैली और मध्यपूर्वी सौंदर्यशास्त्र का समन्वय दिखाई देता है। इसके परिसर में एक सांस्कृतिक केंद्र, प्रदर्शनी हॉल, कक्षाएं और भोजनालय हैं। ये प्रवासी भारतीय समुदाय और पर्यटकों की सेवा करते हैं। इस मंदिर का निर्माण यूएई नेतृत्व के सहयोग और महंत स्वामी महाराज के मार्गदर्शन में संभव हो सका। Edited by : Sudhir Sharma
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